टोकनियों में भर भर उम्र भर ढोये कनस्तर जिन्दगी हुई ऐसी बसर इस शहर से उस शहर चलता रहा शामो सेहर यायावरी अभी अभी ठहरी पीठ पर लदे अहसास अहसासों में रंजे रोमाञ्च गाँठ से बंधे मजबूत रिश्ते कर्म के तानों बानों पर बुनी चादर, बैठी जीत हार जिन्दगी की छोटी सी बही यह यायावरी जो ठहरी है –रामनारायण सोनी रामनारायण सोनी जी की कविता रामनारायण सोनी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
टोकनियों में भर भर
टोकनियों में भर भर
उम्र भर ढोये कनस्तर
जिन्दगी हुई ऐसी बसर
इस शहर से उस शहर
चलता रहा शामो सेहर
यायावरी अभी अभी ठहरी
पीठ पर लदे अहसास
अहसासों में रंजे रोमाञ्च
गाँठ से बंधे मजबूत रिश्ते
कर्म के तानों बानों पर
बुनी चादर, बैठी जीत हार
जिन्दगी की छोटी सी बही
यह यायावरी जो ठहरी है
–रामनारायण सोनी
रामनारायण सोनी जी की कविता
रामनारायण सोनी जी की रचनाएँ
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