वह नहीं बुलाता है
तो जाते ही क्यूं हो
उसके सामने
और जब जाते हो
तो शिकायत कैसी
वह कुछ भी तो नहीं कहता
कभी किसी को
फिर यह ग़ुस्सा
यह बौखलाहट कैसी
जब सवाल तुम्हारे हैं
तो जवाब भी देने होंगे
नहीं दे सकते तो
छोड़ दो
उसके सामने जाना
मान लो अपनी हार
कह दो
चाहे दबी ज़बान में
बस एक बार
अपने-आप से
मैं उसके सामने अब नहीं जाऊंगा
और अगर जाना है तो
जवाब देना ही होगा
उसे या अपने-आपको |
वह नहीं बुलाता है
वह नहीं बुलाता है
तो जाते ही क्यूं हो
उसके सामने
और जब जाते हो
तो शिकायत कैसी
वह कुछ भी तो नहीं कहता
कभी किसी को
फिर यह ग़ुस्सा
यह बौखलाहट कैसी
जब सवाल तुम्हारे हैं
तो जवाब भी देने होंगे
नहीं दे सकते तो
छोड़ दो
उसके सामने जाना
मान लो अपनी हार
कह दो
चाहे दबी ज़बान में
बस एक बार
अपने-आप से
मैं उसके सामने अब नहीं जाऊंगा
और अगर जाना है तो
जवाब देना ही होगा
उसे या अपने-आपको |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
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