विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं ग़ज़ल लेती वहीं अंगड़ाइयाँ हैं जिसे चाहा हमें मिल जाए गर वो सताती फिर नहीं तनहाइयाँ हैं शजर काटे गए जिस गाँव में भी वहाँ चलती नहीं पुरवाइयाँ हैं क़दम अपने वहीं रखना सनम तुम जहाँ हँसती सदा अच्छाइयाँ हैं समय के साथ जो चलता हमेशा उसे आती नहीं कठिनाइयाँ हैं इशारों में करो तुम बात सब से इशारे प्यार की परछाइयाँ हैं चलो “जगदीश”उन्हीं के साथ हो लें जिन्हों की बात में सच्चाइयाँ हैं – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं
विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं
ग़ज़ल लेती वहीं अंगड़ाइयाँ हैं
जिसे चाहा हमें मिल जाए गर वो
सताती फिर नहीं तनहाइयाँ हैं
शजर काटे गए जिस गाँव में भी
वहाँ चलती नहीं पुरवाइयाँ हैं
क़दम अपने वहीं रखना सनम तुम
जहाँ हँसती सदा अच्छाइयाँ हैं
समय के साथ जो चलता हमेशा
उसे आती नहीं कठिनाइयाँ हैं
इशारों में करो तुम बात सब से
इशारे प्यार की परछाइयाँ हैं
चलो “जगदीश”उन्हीं के साथ हो लें
जिन्हों की बात में सच्चाइयाँ हैं
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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