वो समझते हैं अंजान हूं मैं सब समझता हूं इंसान हूं मैं कुछ रिवाजों का ख़ौफ़ है मुझको लोग ना समझे नादान हूं मैं परिचय मेरा अब आप रहने दो आज अपनी खुद पहचान हूं में उम्र भर जो ना निकल पाया एक ऐसा ही अरमान हूं मैं – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
वो समझते हैं
वो समझते हैं अंजान हूं मैं
सब समझता हूं इंसान हूं मैं
कुछ रिवाजों का ख़ौफ़ है मुझको
लोग ना समझे नादान हूं मैं
परिचय मेरा अब आप रहने दो
आज अपनी खुद पहचान हूं में
उम्र भर जो ना निकल पाया
एक ऐसा ही अरमान हूं मैं
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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