जो वफ़ाओ का इक खुदा होगाजो वफ़ाओ का इक खुदा होगा समझो सबसे वही जुदा होगा जब मेरा नाम वो लिखा होगा चेहरा खत मे मेरा पढा होगा जो खयालो मे फ़िरा करता है वही ख्वाबो मे फ़िर रुका होगा मिलना चाहेगा, पर मिलेगा नहीं बस अकेले तड़प रहा होगा कभी मुझमे ही देखले खुदको तेरे घर आईना कहाँ होगा नज़्म को क्यों नहीं समझते हो मुझसा कोई कहाँ मिला होगा – नमिता नज़्म नमिता नज़्म जी की वफ़ाओ का सिला पर गज़ल नमिता नज़्म जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जो वफ़ाओ का इक खुदा होगा
जो वफ़ाओ का इक खुदा होगाजो वफ़ाओ का इक खुदा होगा
समझो सबसे वही जुदा होगा
जब मेरा नाम वो लिखा होगा
चेहरा खत मे मेरा पढा होगा
जो खयालो मे फ़िरा करता है
वही ख्वाबो मे फ़िर रुका होगा
मिलना चाहेगा, पर मिलेगा नहीं
बस अकेले तड़प रहा होगा
कभी मुझमे ही देखले खुदको
तेरे घर आईना कहाँ होगा
नज़्म को क्यों नहीं समझते हो
मुझसा कोई कहाँ मिला होगा
– नमिता नज़्म
नमिता नज़्म जी की वफ़ाओ का सिला पर गज़ल
नमिता नज़्म जी की रचनाएँ
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