क्यों न मेरे हुये, तुम सदा के लिये याद में क्यों रहे, तुम जफ़ा के लिये करके वादे वफ़ा, क्यों हवा हो गये ये मिली है सज़ा, किस ख़ता के लिये तोड़ कर दिल मेरा, बोलिये क्यों गये वो खता तो बता दो ख़ुदा के लिये उम्रभर न सही चार पल ही सही इक नज़र ही बहुत है दवा के लिए खूब बन बन फिरे लोग पागल कहें हमने क्या क्या सहा, दिलरुबा के लिए तू फ़लक तू जमीं, जान इमां भी तू हम तेरे हो गए, हैं सदा के लिये बात अम्नो अमां की चलेगी अगर घर लुटा देंगे हम एकता के लिए रूह से रूह का, राबता छिन गया ‘शाद’ कैसे जिये, इस सज़ा के लिये – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल शाद उदयपुरी’ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
क्यों न मेरे हुये
क्यों न मेरे हुये, तुम सदा के लिये
याद में क्यों रहे, तुम जफ़ा के लिये
करके वादे वफ़ा, क्यों हवा हो गये
ये मिली है सज़ा, किस ख़ता के लिये
तोड़ कर दिल मेरा, बोलिये क्यों गये
वो खता तो बता दो ख़ुदा के लिये
उम्रभर न सही चार पल ही सही
इक नज़र ही बहुत है दवा के लिए
खूब बन बन फिरे लोग पागल कहें
हमने क्या क्या सहा, दिलरुबा के लिए
तू फ़लक तू जमीं, जान इमां भी तू
हम तेरे हो गए, हैं सदा के लिये
बात अम्नो अमां की चलेगी अगर
घर लुटा देंगे हम एकता के लिए
रूह से रूह का, राबता छिन गया
‘शाद’ कैसे जिये, इस सज़ा के लिये
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल
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