यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये इस कदर प्यास सुलगती है लबों पर साग़र जाम होंटो के पिला दो, तो ग़ज़ल हो जाये – विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
यह हवा और चला दो,
यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये
इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये
इस कदर प्यास सुलगती है लबों पर साग़र
जाम होंटो के पिला दो, तो ग़ज़ल हो जाये
– विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की कविता
विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ
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