ये दिल जैसे जैसे मचलता रहेगा वही दर्द ग़ज़लों में ढलता रहेगा ये फ़िरकापरस्ती का आलम जहाँ में कभी ख़त्म होगा या चलता रहेगा कहाँ एकसा कुछ रहा है जहाँ में ये मौसम है प्यारे, बदलता रहेगा कोई बेइमानी नहीं अब चलेगी ये नेकी का सिक्का है चलता रहेगा सिला चाहतो का भले तुम न देना वफ़ा का दिया फ़िर भी जलता रहेगा नज़र दिल तुम्हारा ज़बा भी तुम्हारी हरिक हक़ तुम्हें ही क्या मिलता रहेगा ‘निशा’ चाहने से न बदलेगी दुनिया ज़माना तुम्हें ही बदलता रहेगा – डॉ. नसीमा ‘निशा’ डॉ. नसीमा निशा जी की ये दिल मचलता है पर ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ये दिल जैसे जैसे मचलता रहेगा
ये दिल जैसे जैसे मचलता रहेगा
वही दर्द ग़ज़लों में ढलता रहेगा
ये फ़िरकापरस्ती का आलम जहाँ में
कभी ख़त्म होगा या चलता रहेगा
कहाँ एकसा कुछ रहा है जहाँ में
ये मौसम है प्यारे, बदलता रहेगा
कोई बेइमानी नहीं अब चलेगी
ये नेकी का सिक्का है चलता रहेगा
सिला चाहतो का भले तुम न देना
वफ़ा का दिया फ़िर भी जलता रहेगा
नज़र दिल तुम्हारा ज़बा भी तुम्हारी
हरिक हक़ तुम्हें ही क्या मिलता रहेगा
‘निशा’ चाहने से न बदलेगी दुनिया
ज़माना तुम्हें ही बदलता रहेगा
– डॉ. नसीमा ‘निशा’
डॉ. नसीमा निशा जी की ये दिल मचलता है पर ग़ज़ल
डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ
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