हर पल की तुम बात न पूछो कैसे गज़री रात न पूछो बाहर सब कुछ सूखा सूखा अंदर की बरसात न पूछो जिसको सुन के पछताओगे तुम मुझसे वो बात न पूछो दुनिया से तो जीत रहा हूँ ख़ुद से ख़ुद की मात न पूछो साहिल पे ही डूब गए वो कैसे थे हालात न पूछो इन्सां है “इरशाद” तो यारो उससे उसकी ज़ात न पूछो –इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की ग़ज़ल इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ज़िन्दगी जीना सिखाती है
हर पल की तुम बात न पूछो
कैसे गज़री रात न पूछो
बाहर सब कुछ सूखा सूखा
अंदर की बरसात न पूछो
जिसको सुन के पछताओगे
तुम मुझसे वो बात न पूछो
दुनिया से तो जीत रहा हूँ
ख़ुद से ख़ुद की मात न पूछो
साहिल पे ही डूब गए वो
कैसे थे हालात न पूछो
इन्सां है “इरशाद” तो यारो
उससे उसकी ज़ात न पूछो
–इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की ग़ज़ल
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