कहाँ ज़िन्दगी की दुआ माँगते हैं जुदा हो के उनसे कज़ा माँगते हैं रहे हम किसी पर न इक बोझ बन कर न कुछ और इसके सिवा माँगते हैं तिज़ारत नहीं है हमारी मुहब्बत वफ़ा का न हम कुछ सिला माँगते हैं सफ़र ज़िन्दगी का तो लगता है मुश्किल कोई हमसफ़र ऐ खुदा माँगते हैं किये टुकड़े-टुकड़े ‘निशा’ जिसने दिल के उसी की खुशी बारहा माँगते हैं – डॉ. नसीमा निशा डॉ. नसीमा निशा जी की टूटे दिल की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
कहाँ ज़िन्दगी की दुआ माँगते हैं
कहाँ ज़िन्दगी की दुआ माँगते हैं
जुदा हो के उनसे कज़ा माँगते हैं
रहे हम किसी पर न इक बोझ बन कर
न कुछ और इसके सिवा माँगते हैं
तिज़ारत नहीं है हमारी मुहब्बत
वफ़ा का न हम कुछ सिला माँगते हैं
सफ़र ज़िन्दगी का तो लगता है मुश्किल
कोई हमसफ़र ऐ खुदा माँगते हैं
किये टुकड़े-टुकड़े ‘निशा’ जिसने दिल के
उसी की खुशी बारहा माँगते हैं
– डॉ. नसीमा निशा
डॉ. नसीमा निशा जी की टूटे दिल की ग़ज़ल
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