भ्रष्टाचार की काली कहानी हूँ मैं, दर-दर फटती, वो सड़क हूँ मैं। गड्डे, मेरा बदन चीर-चीर देते, ऐसी बदनसीब सड़क [...]
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भ्रष्टाचार की काली कहानी हूँ मैं
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पावस ऋतु आ गई
लो, पावस ऋतु आ गई श्याम नभ पर छाई वो काली बदरी आ गई पंख फैलाकर मयुर नाचे घन-घन बादल [...] More -
श्याम-वर्ण मेरा
श्याम-वर्ण मेरा, पर मन उजला था, तेरे श्वेत तन मे, बैठा एक मन घोर काला था। रूप-रंग, जोबन और यह [...] More