• खता पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    गुजरे जो पल

    गुजरे जो पल उन्हें सदा देते। प्यार के शोलो को हवा देते। क्या खता हो गई बताते गर, खुद को [...] More
  • उदासी पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    आज दामन उदासी से

    आज दामन उदासी से भर गया, इक गम काम अपना कर गया। अपने बिस्तर पर सोते सोते ही, मैं, सपने [...] More
  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अभी भी हैं बहुत

    अभी भी हैं बहुत सम्भावनाएँ चलो फिर ज़िन्दगी को आज़माएँ संभलकर हर क़दम रखना यहाँ पे कहीं फिर से क़दम [...] More
  • कलियुग पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    जंगल मे ये क्या

    जंगल मे ये क्या गदर हो रहा है, आज हर इक शज़र रो रहाँ है। गाँव मे हम बूँद बूँद [...] More