• खता पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    गुजरे जो पल

    गुजरे जो पल उन्हें सदा देते। प्यार के शोलो को हवा देते। क्या खता हो गई बताते गर, खुद को [...] More
  • उदासी पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    आज दामन उदासी से

    आज दामन उदासी से भर गया, इक गम काम अपना कर गया। अपने बिस्तर पर सोते सोते ही, मैं, सपने [...] More
  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अभी भी हैं बहुत

    अभी भी हैं बहुत सम्भावनाएँ चलो फिर ज़िन्दगी को आज़माएँ संभलकर हर क़दम रखना यहाँ पे कहीं फिर से क़दम [...] More
  • कलियुग पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    जंगल मे ये क्या

    जंगल मे ये क्या गदर हो रहा है, आज हर इक शज़र रो रहाँ है। गाँव मे हम बूँद बूँद [...] More
  • हल पूछने पर ग़ज़ा, पी एल बामनिया

    इस तरह से

    इस तरह से हाल पूछा, मौन रह कर सवाल पूछा। चिंता कोई नही है जब, फिर कैसे उडे बाल पूछा। [...] More
  • थक गया हूँ मै

    थक गया हूँ मै आराम चाहिए, महफ़िल से सजी शाम चाहिए। जिंदगी ने खुशियो से ख़ूब नवाज़ा, सहेजने को अब [...] More
  • ज़िंदगी की रह पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    पहले तो कुछ दाने बांटे

    पहले तो कुछ दाने बांटे, फिर परिंदो के पर कांटे। हे रब, अमीरो और गरीबो को कर दो अब तुम [...] More
  • गुनगुनाने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आज मेरी ही ग़ज़ल

    आज मेरी ही ग़ज़ल को गुनगुनाना आपका यूँ नज़र मुझसे मिलाकर मुस्कराना आपका रौशनी बन हँस रहे हो आप मेरी [...] More
  • आईने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आइना सच बोलता है

    आइना सच बोलता है राज़ सबके खोलता है जानता जब कुछ नहीं तो बीच में क्यों बोलता है फायदा जब [...] More
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