आज मेरी ही ग़ज़ल को गुनगुनाना आपका यूँ नज़र मुझसे मिलाकर मुस्कराना आपका रौशनी बन हँस रहे हो आप मेरी राह में और इस दिल से अंधेरे को भगाना आपका पास जब आया तुम्हारे सकपका तुम क्यों गये हम को तो अच्छा लगा यूँ सकपकाना आपका पास भी आओ ज़रा सा मत लजाओ इस तरह हाय! मुझको मार डाला क्या लजाना आपका आज क्यों ‘जगदीश’ को तुमने बुलाया प्यार से ये नहीं अच्छा लगा मुझको चिड़ाना आपका – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आज मेरी ही ग़ज़ल
आज मेरी ही ग़ज़ल को गुनगुनाना आपका
यूँ नज़र मुझसे मिलाकर मुस्कराना आपका
रौशनी बन हँस रहे हो आप मेरी राह में
और इस दिल से अंधेरे को भगाना आपका
पास जब आया तुम्हारे सकपका तुम क्यों गये
हम को तो अच्छा लगा यूँ सकपकाना आपका
पास भी आओ ज़रा सा मत लजाओ इस तरह
हाय! मुझको मार डाला क्या लजाना आपका
आज क्यों ‘जगदीश’ को तुमने बुलाया प्यार से
ये नहीं अच्छा लगा मुझको चिड़ाना आपका
– जगदीश तिवारी
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