Tag Archives: डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’

  • सावन पर कविता, डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’

    आज महफिल में गुलशन

    आज महफिल में गुलशन, खिला देंगे हम, फिर धरती पर सुमन, बिछा देंगे हम, अगर राहे मंजिल, मिले आपका, बूंद शबनम हकिकत, वरषा देंगे हम, मौसम सुहाना सुअवसर मिले जो, जमीं क्या गगन को, झुका देंगे हम, हौंसला है, बलन्दी है, चाहत मगर, सच ईंटों से ईंट, बजा देंगे हम, - डा विनोद कैमूरी डॉ. [...] More
  • बेटी एक वरदान है, डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’

    जलने से बेटियों को बचाएं

    रस्में ताल्लुकात निभायें, तो किस तरह, भूलें हैं वो याद दिलायें, तो किस तरह । बेटे तो सभी बिक चुके हैं ऊंचे दामों पर, जलने से बेटियों को बचाएं, तो किस तरह । - डा विनोद कैमूरी डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की बेटी पर मार्मिक कविता डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की [...] More
  • पहाड़ो पर कविता, डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’

    पावन हिमगिरि उतगं श्रृंग पर

    पावन हिमगिरि उतगं श्रृंग पर, धवल हिम अति जमते देखा । जीवन सचिंत निज अंको मे, दिनकर रश्मि चमकते देखा । दिव्य दृश्य अति पावन लौकिक, चॉदी भू को धरते देखा, उष्ण ताप अति तृष्ण अनल से, हिमगिरि हिम पिघलते देखा । चला ठोस अब द्रव रुप धारित, स्वर्ग से थरा उतरते देखा । कोमल [...] More
  • मेहबूब शायरी हिंदी में

    महबूब की गलियों से ये तहज़ीब आ गयी

    महबूब की गलियों से ये तहज़ीब आ गयी मोहब्बत से मुझे जीने की तरकीब आ गयी क़दमों की तेरी चाल से मेरा हाल यूँ हुआ आहात की झुरमुटों से वो करीब आ गयी - डॉ. विनोद कुमार मिश्र 'कैमूरी' महबूब पर शायरी हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर [...] More
  • वीर सैनिक पर कविता

    वतन के वीर पूतों का कफन मैला नही होता

    भले तन धूल धुसरित हो वो मन मैला नही होता। वतन के वीर पूतों का कफन मैला नही होता। यहां तो बाग़बान ही पर कतरते ही नज़र आते। सजग माली के रहने पर चमन मैला नही होता। प्यार के राह के हर मोड़ पे खज़र खनकता है। जिग़र पाके़ मोहब्बत हो मिलन मैला नही होता। [...] More
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