• बरसा नहीं निकल गया

    बरसा नहीं निकल गया, जुल्मी बादल मीत क्या इसे अब नहीं रही, धरती माँ से प्रीत मत तड़फा ऐसे हमें, मेघ बरस घनघोर ताल सभी सूखे यहाँ, पंछी करें न शौर चुप क्यों बैठा मेघ तू, बरस मूसलाधार सारे प्राणी रो रहे, कुछ तो कर उपकार ताक रहा आकाश को, हुई नहीं बरसात पूछ रहा [...] More
  • चित्तोर पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मेवाड़ की गाथा पर

    वीर सदा पैदा हुए, जिस धरती पर मीत। भूल न उस चित्तौड़ को, उस पर लिख तू गीत।। लिख गाथा चित्तौड़ की, कर इसका गुणगान। इसके वीरों का करें, ह्रिदय से सम्मान।। पन्ना के उस त्याग का, कैसे करूँ बखान। शब्द नहीं हैं पास में, ओ ! मेरे भगवान।। जिसके वीरों ने सदा, दुश्मन दिए [...] More
  • माँ पर दोहा, जगदीश तिवारी

    अब तो साजन देख

    अब तो साजन देख ले थोड़ा मेरी ओर दो पल को मिल जायेगी इस हियड़े को ठोर कोयल अब कूके नहीं काग हँसे हर दवार सावन के घर लग रहा पतझर का दरबार सूख गया पानी सभी, रूठ गया व्यवहार आग उगलता आदमी मानवता लाचार कोई भी दिखता नहीं हमको खुली किताब मुखड़े पर हर [...] More
  • समय गया तो

    समय गया तो पास कुछ नहीं रहेगा साथ समय बड़ा बलवान है थाम उसी का हाथ सम्मुख जब तक वो रहा मीठे बोले बोल पीठे फेर कर क्या गया बोल हो गये गोल कहने को तो कह गया बड़ी बड़ी वो बात करने को जब कुछ कहा कहे अभी है रात अजब किसम का आदमी [...] More
  • नई जगह पर आ गया

    नई जगह पर आ गया नई मिली है राह अब पूरी करनी मुझे दबी हुई सब चाह हिम्मत औ; विश्वास से अपने को तू जोड़ जीवन में उल्लस भर जीवन को दे मोड़ करम से बड़ा कुछ नहीं लिखे करम सब लेख करम करेगा तो सनम ! बदलेगी कर रेख बसा मीत हिय में उसे [...] More
  • मोबाइल पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मोबाइल ने गाँव में

    मोबाइल ने गाँव में जब से किया प्रवेश देखो सारे गाँव का बदल गया परिवेश अपनापन हँसता नहीं झूठे सब अनुबन्ध सम्बन्धों के दवार पर ये कैसी दुरगन्ध तन सुन्दरता देखकर यूँ मत पीछे भाग अन्तस् में भी झाँक कुछ जाग मुसाफिर जाग अब जनता के सामने नहीं बजाता बीन जब से वो नेता हुआ [...] More
  • हरियाली पर दोहा, जगदीश तिवारी

    खूब लगायें पेड़

    खूब लगायें पेड़ हम हो पेड़ो की छाँव हरियाली हँसने लगे हँसे हमारे गाँव आन मान से सब रहें रखें सभी का मान आँच न आये देश पर हों इस पे कुर्बान क़दम नहीं पीछे हटें गायें जन-मन गान लड़े आखरी साँस तक हो जायें बलिदान कुछ तो अच्छे काम कर अच्छा बन इन्सान मात-पिता [...] More
  • सूरज की किरणें

    सूरज की किरणें हंसी हँसने लगा पलास देख धरा का रूप ये नाच रहा आकाश छम छम छम पायल बजी गोरी की जब आज फगुन नाचा झूम के बजे संग सब साज गौरी का यौवन हँसा हँसने लगे विचार नींद न आयी रात भर खुला रहा हिय दवार खोल दिया जब दवार तो बजा जोर [...] More
  • एकता पर दोहा, जगदीश तिवारी

    भाई कैसे हो गये हम

    भाई कैसे हो गये हम इतने मजबूर अपनों से ही हम नहीं खुद से भी हैं दूर कुछ तो ऐसा कर नया छू ले तू आकाश अपने सब तुझ पर करें आँख मीच विश्वास तोड़ रहा है आदमी देख ! नेह की भीत कुछ तो तू आवाज़ कर चुप क्यों बैठा मीत हरियाली बनकर हँसों [...] More
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