समय गया तो पास कुछ नहीं रहेगा साथ समय बड़ा बलवान है थाम उसी का हाथ सम्मुख जब तक वो रहा मीठे बोले बोल पीठे फेर कर क्या गया बोल हो गये गोल कहने को तो कह गया बड़ी बड़ी वो बात करने को जब कुछ कहा कहे अभी है रात अजब किसम का आदमी समझ न आये यार कभी करे गुस्सा बहुत कभी दिखाये प्यार पंछी भी नाराज़ हैं नदिया भी नाराज़ पेड़ कटे जब से यहाँ बना आदमी बाज जिसने भी खोया नहीं अपना कभी ज़मीर भाई वो ही आदमी सबसे बड़ा अमीर बाहर से चिड़िया लगें अन्दर से जो बाज चला मीत उन पर क़लम छोड़ न उनको आज – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
समय गया तो
समय गया तो पास कुछ नहीं रहेगा साथ
समय बड़ा बलवान है थाम उसी का हाथ
सम्मुख जब तक वो रहा मीठे बोले बोल
पीठे फेर कर क्या गया बोल हो गये गोल
कहने को तो कह गया बड़ी बड़ी वो बात
करने को जब कुछ कहा कहे अभी है रात
अजब किसम का आदमी समझ न आये यार
कभी करे गुस्सा बहुत कभी दिखाये प्यार
पंछी भी नाराज़ हैं नदिया भी नाराज़
पेड़ कटे जब से यहाँ बना आदमी बाज
जिसने भी खोया नहीं अपना कभी ज़मीर
भाई वो ही आदमी सबसे बड़ा अमीर
बाहर से चिड़िया लगें अन्दर से जो बाज
चला मीत उन पर क़लम छोड़ न उनको आज
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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