Tag Archives: अवधेश कुमार ‘रजत’

  • अक्टूबर इकतीस को,

    अक्टूबर इकतीस को, जन्मे सन्त सुजान। झवेर भाई लाडबा, की चौथी सन्तान।। कष्टों से जब हुआ सामना, देश प्रेम की [...] More
  • सरदार वल्लभभाई पटेल पर छंद, अवधेश कुमार ‘रजत’

    प्रतिमा विशाल यदि

    प्रतिमा विशाल यदि बनी सरदार की जो, वामी पीडी छाती पीट करते विलाप क्यों। एक परिवार के ही नाम सारी [...] More
  • नारी के ज़ख्म पर कविता, अवधेश कुमार ‘रजत’

    नारी हित की बात करेंगे

    नारी हित की बात करेंगे पर आवाज़ दबाएंगे, नैतिकता का पिंड दान कर अपना राज चलाएंगे। रूप सजा निकले जब [...] More
  • भारत की शान पर कविता, अवधेश कुमार ‘रजत’

    जब तक नभ में चाँद सितारे

    जब तक नभ में चाँद सितारे, तब तक उनका नाम रहेगा। भारत का हर बच्चा बच्चा, ज़िंदाबाद कलाम कहेगा।। शान [...] More
  • सुधार पर कविता, अवधेश कुमार ‘रजत’

    डूब वासना में सब भूल

    डूब वासना में सब भूल, जीवन में बो बैठे शूल। तन मन पर नारी के घाव, देख रहे सब ले [...] More
  • श्रद्धांजलि पर कविता, अवधेश कुमार 'रजत'

    भगीरथ चला गया

    अविरल गंगा की जिद पकड़े एक भगीरथ चला गया, राजतंत्र के हाथों फिर से आम नागरिक छला गया। व्यथित हाल [...] More
  • घरबार पर कविता, अवधेश कुमार 'रजत'

    घर ग्रस्थि पर कविता

    घर परिवार गाँव छोड़ बसे परप्रान्त, मजदूरी कर रोजी अपनी कमाते हैं। कायरों का झुंड लिए धूर्तता के ठेकेदार, कर्मवीर [...] More
  • बेटी एक वरदान है, अवधेश कुमार 'रजत'

    माथे बिंदी पाँव महावर

    माथे बिंदी पाँव महावर लाज क घूँघट ओढ़ चलल, नाता रिश्ता नइहर वाला पल भर में ही गैर भयल। गुड्डा [...] More
  • मन का राग, अवधेश कुमार 'रजत'

    आँख से मिलाई आँख चैन छीन ले गए वो

    आँख से मिलाई आँख चैन छीन ले गए वो, मन का मयूर झूम झूम नाचने लगा। दुनिया की सारी पुस्तकों [...] More
Updating…
  • No products in the cart.