• ख्वाब पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    मगर तुम नहीं

    उम्र ढलान पर है बेशुमार ख़्वाब आंखों में जगमगाते हैं उड़ाते हैं मज़ाक बेबसी का यही तमाशा है ज़िन्दगी का [...] More
  • कुए पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    कुए का दु:ख

    जीवन मुस्कराता था इसके आस-पास परिंदों के झुंड गाते थे प्रेम के गीत कितने हरे-भरे थे वो खेत-खलिहान वो पेड़ [...] More
  • इतना क्यूं रोती हो

    तुम जब हंसती हो तो भर जाती है तुम्हारी आंखें मन में ठहरे दु:ख के कारण तो नहीं हां जब [...] More
  • दर्द पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    हां जानता हूं तुम्हारा दर्द

    मेरे एक इशारे पर क्यूं कर देती हो अपने-आपको मेरे हवाले कभी तो टूटने दो मेरे सब्र का बांध क्यूं [...] More
  • मैं तुम्हारा ख़याल हूं

    मैं तुम्हारा ख़याल हूं तो हक़ीक़त कोई और है अगर हक़ीक़त हूं तो ख़याल कोई दूसरा जाने दो दिमाग पर [...] More
  • दुनिया पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    जैसा तुम सोचती हो

    जैसा तुम सोचती हो वैसी नहीं है यह दुनिया न ही तुम वैसी हो जैसा तुम्हें देखना चाहती है यह [...] More
  • सांसों की सिलाई

    ज़िन्दगी बुनती है बेशुमार ख़्वाब मगर चह किसकी सुनती है दौड़ती जाती है उधेड़ते हुए सांसों की सिलाई अपने ही [...] More
  • कितनी उलझी हुई लगती हो

    मैं तुम्हें जितना भी जान पाया हूं और जानना चाहता हूं तुम्हारा कहा हुआ आधा सच और झूठ पूरा-पूरा तुम [...] More
  • खुद को भूलने पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    तुम्हें सोचता हूं तो

    तुम्हें सोचता हूं तो भूल जाता हूं ख़ुद को मेरा होना याद ही नहीं रहता मुझे कई बार हां जानता [...] More
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