• ख्वाब पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    मगर तुम नहीं

    उम्र ढलान पर है बेशुमार ख़्वाब आंखों में जगमगाते हैं उड़ाते हैं मज़ाक बेबसी का यही तमाशा है ज़िन्दगी का [...] More
  • कुए पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    कुए का दु:ख

    जीवन मुस्कराता था इसके आस-पास परिंदों के झुंड गाते थे प्रेम के गीत कितने हरे-भरे थे वो खेत-खलिहान वो पेड़ [...] More
  • इतना क्यूं रोती हो

    तुम जब हंसती हो तो भर जाती है तुम्हारी आंखें मन में ठहरे दु:ख के कारण तो नहीं हां जब [...] More
  • दर्द पर नज़्म, इरशाद अज़ीज़

    हां जानता हूं तुम्हारा दर्द

    मेरे एक इशारे पर क्यूं कर देती हो अपने-आपको मेरे हवाले कभी तो टूटने दो मेरे सब्र का बांध क्यूं [...] More