मैं तुम्हारा ख़याल हूं तो हक़ीक़त कोई और है अगर हक़ीक़त हूं तो ख़याल कोई दूसरा जाने दो दिमाग पर जोर मत डालो जब तुम्हारा ख़याल और हक़ीक़त एक हो जाये तो बताना मुझे मैं तुम्हारा कौन हूं ख़याल हूं हक़ीक़त हूं या कुछ भी नहीं | – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की नज़्म इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मैं तुम्हारा ख़याल हूं
मैं
तुम्हारा ख़याल हूं
तो हक़ीक़त कोई और है
अगर हक़ीक़त हूं तो
ख़याल कोई दूसरा
जाने दो
दिमाग पर जोर मत डालो
जब तुम्हारा ख़याल
और हक़ीक़त एक हो जाये
तो बताना मुझे
मैं तुम्हारा कौन हूं
ख़याल हूं
हक़ीक़त हूं
या कुछ भी नहीं |
– इरशाद अज़ीज़
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