Tag Archives: दीपा पन्त ‘शीतल’

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  • रूठने मनाने पर कविता, दीपा पंत 'शीतल'

    तुम नहीं पुकारोगे

    तुम नहीं पुकारोगे, तो क्या खो जाऊँगी मैं ? तुम नहीं मनाओगे, तो क्या रूठी ही रह जाऊँगी मैं ? [...] More
  • ढलती उम्र पर कविता, दीपा पंत ‘शीतल’

    एक उम्र तय करनी होगी

    एक उम्र तय करनी होगी मेरे जैसे हो जाने को... सुलगी सिसकी सांसों को घूंट घूंट पी जाने को। शीतल [...] More
  • हाँ अहसास है मुझे कि आसपास हो तुम

    हाँ अहसास है मुझे कि आसपास हो तुम

    हाँ अहसास है मुझे कि आसपास हो तुम, हाँ, इकरार है मुझे कि कुछ खास हो तुम। ज़िन्दगी की भागमभाग [...] More
  • तेरी कहानी कविता

    बनना चाहती हूँ

    तेरी कहानी का बस एक, किरदार बनना चाहती हूँ, तुझे बेइंतहा चाह कर, फिर गुनहगार बनना चाहती हूँ। मालूम है, [...] More
  • रामा चला गया कविता

    रामा चला गया

    रामा चला गया.. अपने परिवार की याद में घुटकर, चेन्नई से यहाँ के संक्रमण में , उसका पशु मन नहीं [...] More
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