संपादकीय - अकबर ख़ान 'शाद'
शाद फाउंडेशन की स्थापना अकेले मेरी सोच से नहीं वरन् मेरे प्रिय साथियों के सहयोग से संभव हो पायी है। समाज व देश के प्रति असीम प्रेम व इन्हें बेहतर बनाने की चाह ने ही हम सभी में ऊर्जा का संचार किया है। आजकल के सन्दर्भ में कहा जा सकता है हम अपनी ज़रूरतों व ख़्वाहिशों में इतने मग्न हो गए हैं कि अपने आस-पास की घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हम अपनी ख़्वाहिशों को पूरी करने के लिए दिन-रात की सुध खो देते हैं और यह भूल जाते हैं की हमारे कई देशवासी साथी अपनी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मैं आज आप सभी के समक्ष एक घटना का ज़िक्र करना चाहूंगा जिसने मेरी सोच व मेरे देखने के नज़रिये को बदल दिया। बात उस समय की है जब मैं दिल्ली में प्रबंधन की पढ़ाई कर रहा था और छुटियाँ बिता के वापस दिल्ली जाने के लिए अपने मित्र के साथ ट्रैन में बैठा था। मेरे मित्र की माँ ने हम दोनों के लिए खाना भेजा था, माँ ने प्रेमवश खाना ज़रूरत से ज्यादा बाँध दिया था। खाना खाने के बाद कुछ खाना बच जाने के कारण उसको हमने कानपूर स्टेशन पर यूँ ही फेंक दिया।
थोड़ी देर में मेरी नज़र कुछ बच्चों पर पड़ी जो उस फेकें हुए खाने के लिए लड़ रहे थे। उनकी यह दशा देख कर मेरा मन विचलित हो उठा और अन्न की कीमत का सही मायने में एहसास हुआ। भूख क्या होती है उन मासूम बच्चों ने मुझे सिखाया। मैं अपने आँखों की अश्रुधारा को रोक न सका। मैंने उसी समय मन में दो बातें ठान ली। प्रथम, कभी भी अन्न का अनादर नहीं करूँगा और द्वितीय, गरीब और असहाय बच्चों के लिए जिन्हें किसी भी तरह के संरक्षण की आवशयकता हो सदैव प्रयत्नशील रहूँगा।
मैंने साहित्य को सदैव ही देश के पांचवे स्तम्भ के रूप में समझा है। मेरी इसी सोच ने इस ख्याल को जन्म दिया कि क्यों न साहित्य की मदद से गरीब और असहाय बच्चों के लिए कुछ नेक काम किया जाए। ऐसा काम जिससे बच्चों के साथ साथ देश के साहित्य को भी बढ़ावा मिले। मेरे इस सोच को सार्थक बनाने में सर्वप्रथम मेरी सबसे प्रिय दोस्त मेरी पत्नी एकता व मेरी आदरणीय बहन नसीमा जी का साथ मिला जिन्हें मैं ह्रदय तल से धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने मेरी भावनावों को समझा ही नहीं वरन् पूरे तन मन धन से इसको आगे बढ़ाने में जुट गयीं।
साथ ही संस्था से जुड़े सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जिन्होंने मेरी सोच को सराहा ही नहीं अपितु इसको वास्तविकता में लाने के लिए सक्रिय रूप से ‘शाद फाउंडेशन‘ से जुड़ गए। मैं इन सभी लोगों का तहे दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा और मैं इनकी जितनी भी प्रशंसा करूँ वो कम है। आप सभी के मार्गदर्शन और सहयोग से यह संभव हो पाया है।
शाद फाउंडेशन जरुरतमंद बच्चों के विकास के लिए हर संभव प्रयास के साथ एक वार्षिक पुस्तक ‘काव्य ज्योति‘ भी प्रकाशित करेगी जिसमे देश के प्रख्यात व नामचीन कवि, शायर और साहित्यकार अपनी प्रतिनिधि रचना देंगे। हम समय-समय पर देश भर के सभी कोनों में जाकर कवि सम्मेलनों व मुशायरों का आयोजन करेंगे और ‘काव्य ज्योति’ पुस्तक से एकत्रित धनराशि का उपयोग बच्चों की मदद में लगाएंगे।
शाद फाउंडेशन जरुरतमंद बच्चों के सम्पूर्ण विकास के साथ, पर्यावरण, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। संस्था से जुड़े सभी लोगों का मैं ह्रदय की गहराईयों से शुक्रिया अदा करता हूँ। आपका साथ व मार्गदर्शन सदैव ऐसे ही बना रहे और हमारी संस्था ज्यादा से ज्यादा दीन व निःसहाय लोगों की मदद करती रहे।
अकबर ख़ान ‘शाद’
संस्थापक, शाद फाउंडेशन
उदयपुर, राजस्थान
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