Tag Archives: प्रभु लाल बामनिया

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  • खता पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    गुजरे जो पल

    गुजरे जो पल उन्हें सदा देते। प्यार के शोलो को हवा देते। क्या खता हो गई बताते गर, खुद को [...] More
  • उदासी पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    आज दामन उदासी से

    आज दामन उदासी से भर गया, इक गम काम अपना कर गया। अपने बिस्तर पर सोते सोते ही, मैं, सपने [...] More
  • कलियुग पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    जंगल मे ये क्या

    जंगल मे ये क्या गदर हो रहा है, आज हर इक शज़र रो रहाँ है। गाँव मे हम बूँद बूँद [...] More
  • हल पूछने पर ग़ज़ा, पी एल बामनिया

    इस तरह से

    इस तरह से हाल पूछा, मौन रह कर सवाल पूछा। चिंता कोई नही है जब, फिर कैसे उडे बाल पूछा। [...] More
  • थक गया हूँ मै

    थक गया हूँ मै आराम चाहिए, महफ़िल से सजी शाम चाहिए। जिंदगी ने खुशियो से ख़ूब नवाज़ा, सहेजने को अब [...] More
  • ज़िंदगी की रह पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    पहले तो कुछ दाने बांटे

    पहले तो कुछ दाने बांटे, फिर परिंदो के पर कांटे। हे रब, अमीरो और गरीबो को कर दो अब तुम [...] More
  • विवाह शादी इश्तिहार हो गये है

    विवाह शादी इश्तिहार हो गये है रिश्ते नाते सब व्यापार हो गये है। वृद्धाश्रम मे रहने की हमे दी सज़ा, [...] More
  • ज़माने पर कविता, पी एल बामनिया

    साए को तरसता

    साए को तरसता शज़र देखा, कतरे को मचलता समंदर देखा। गुज़रे जमाने का ज़खीरा मिला, झाँक कर जब खुद के [...] More
  • मौसम के बदलने पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    अब ये मौसम कातिलाना

    अब ये मौसम कातिलाना हो चुका है दुश्मन का अब शहर आना हो चुका है। तुम खुद को अब मत [...] More
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