पहले तो कुछ दाने बांटे, फिर परिंदो के पर कांटे। हे रब, अमीरो और गरीबो को कर दो अब तुम आटे साटे। शादी के वक्त है गाजे बाजे, गृहस्थी मे फिर होते है सन्नाटे। नींद मुझको आती नहीं अब, सुन कर बीबी के खर्राटे। बाते करते वो ऊँची ऊँची, कद मे जो है छोटे नाटे। हम तो इश्क को छोड़ भागे, इस बिजनेस मे घाटे ही घाटे। ऐसा ठेकेदार ढुंढो अब तो, जो मजहबो की दरारे पाटे। सुख की छाता खरीद लाओ, जिसमे आ न पाए दुख के छाटे। उसने यहा खूब मलाई बटोरी, जिसने जी हुजूरी की, तलवे चाटे। जिंदगी की राह मे खूब देखे, उतार चढ़ाव के ज्वार भाटे। – पी एल बामनिया पी एल बामनिया जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
पहले तो कुछ दाने बांटे
पहले तो कुछ दाने बांटे,
फिर परिंदो के पर कांटे।
हे रब, अमीरो और गरीबो को
कर दो अब तुम आटे साटे।
शादी के वक्त है गाजे बाजे,
गृहस्थी मे फिर होते है सन्नाटे।
नींद मुझको आती नहीं अब,
सुन कर बीबी के खर्राटे।
बाते करते वो ऊँची ऊँची,
कद मे जो है छोटे नाटे।
हम तो इश्क को छोड़ भागे,
इस बिजनेस मे घाटे ही घाटे।
ऐसा ठेकेदार ढुंढो अब तो,
जो मजहबो की दरारे पाटे।
सुख की छाता खरीद लाओ,
जिसमे आ न पाए दुख के छाटे।
उसने यहा खूब मलाई बटोरी,
जिसने जी हुजूरी की, तलवे चाटे।
जिंदगी की राह मे खूब देखे,
उतार चढ़ाव के ज्वार भाटे।
– पी एल बामनिया
पी एल बामनिया जी की रचनाएँ
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One reply to “पहले तो कुछ दाने बांटे”
Kagaj Kalam
I am a regular reader of Kavya Jyoti. Your poems are always a piece of inspiration.