Tag Archives: जगदीश तिवारी

  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अभी भी हैं बहुत

    अभी भी हैं बहुत सम्भावनाएँ चलो फिर ज़िन्दगी को आज़माएँ संभलकर हर क़दम रखना यहाँ पे कहीं फिर से क़दम ना डगमगाएँ नहीं यूँ अजनबी बनकर रहें हम यहाँ पहचान ख़ुद अपनी बनाएँ असंभव कुछ नहीं है इस जहाँ में ज़हन में बात ये अपने बिठाएँ समय भी आज देखो कह रहा है समय के [...] More
  • गुनगुनाने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आज मेरी ही ग़ज़ल

    आज मेरी ही ग़ज़ल को गुनगुनाना आपका यूँ नज़र मुझसे मिलाकर मुस्कराना आपका रौशनी बन हँस रहे हो आप मेरी राह में और इस दिल से अंधेरे को भगाना आपका पास जब आया तुम्हारे सकपका तुम क्यों गये हम को तो अच्छा लगा यूँ सकपकाना आपका पास भी आओ ज़रा सा मत लजाओ इस तरह [...] More
  • आईने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आइना सच बोलता है

    आइना सच बोलता है राज़ सबके खोलता है जानता जब कुछ नहीं तो बीच में क्यों बोलता है फायदा जब कुछ नहीं तो फिर उधर क्यों डोलता है देख साहस झूठ का तू यार सच को तोलता है चार सू सूखा ही सूखा और पानी ढोलता है दोस्तों को तू लड़ाकर क्यों ज़हर यूँ घोलता [...] More
  • चल साँझ हो गई है

    चल साँझ हो गई है निकले गगन पे तारे मझधार में सफ़ीना माझी लगा किनारे इतने बड़े जहाँ में है कौन अब हमारा जो साथ में हमारे थोड़ा समय गुज़ारे ये ज़िन्दगी हमारी कैसे फिसल रही है धुंधली हुई नज़र है दीखें नहीं नज़ारे कब आयेगा बुलावा हमको बता दे तेरा दिखता नहीं कहीं तू [...] More
  • बरसा नहीं निकल गया

    बरसा नहीं निकल गया, जुल्मी बादल मीत क्या इसे अब नहीं रही, धरती माँ से प्रीत मत तड़फा ऐसे हमें, मेघ बरस घनघोर ताल सभी सूखे यहाँ, पंछी करें न शौर चुप क्यों बैठा मेघ तू, बरस मूसलाधार सारे प्राणी रो रहे, कुछ तो कर उपकार ताक रहा आकाश को, हुई नहीं बरसात पूछ रहा [...] More
  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अब अंधेरा नहीं

    अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए हम रहें प्यार से प्यार सब से करें दुश्मनी अब नहीं दोस्ती चाहिए बेरुख़ी बेरुख़ी बेरूख़ी छोड़ दो दिल लगाया तो फिर दिल्लगी चाहिए शेर कहकर ग़ज़ल आज पूरी करी हम हैं शायर हमें शाइरी चाहिए चाँद की चाँदनी सा दमकना हो गर मीत उसके लिए [...] More
  • चित्तोर पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मेवाड़ की गाथा पर

    वीर सदा पैदा हुए, जिस धरती पर मीत। भूल न उस चित्तौड़ को, उस पर लिख तू गीत।। लिख गाथा चित्तौड़ की, कर इसका गुणगान। इसके वीरों का करें, ह्रिदय से सम्मान।। पन्ना के उस त्याग का, कैसे करूँ बखान। शब्द नहीं हैं पास में, ओ ! मेरे भगवान।। जिसके वीरों ने सदा, दुश्मन दिए [...] More
  • माँ पर दोहा, जगदीश तिवारी

    अब तो साजन देख

    अब तो साजन देख ले थोड़ा मेरी ओर दो पल को मिल जायेगी इस हियड़े को ठोर कोयल अब कूके नहीं काग हँसे हर दवार सावन के घर लग रहा पतझर का दरबार सूख गया पानी सभी, रूठ गया व्यवहार आग उगलता आदमी मानवता लाचार कोई भी दिखता नहीं हमको खुली किताब मुखड़े पर हर [...] More
  • समय गया तो

    समय गया तो पास कुछ नहीं रहेगा साथ समय बड़ा बलवान है थाम उसी का हाथ सम्मुख जब तक वो रहा मीठे बोले बोल पीठे फेर कर क्या गया बोल हो गये गोल कहने को तो कह गया बड़ी बड़ी वो बात करने को जब कुछ कहा कहे अभी है रात अजब किसम का आदमी [...] More
Updating
  • No products in the cart.