
अभी भी हैं बहुत
अभी भी हैं बहुत सम्भावनाएँ
चलो फिर ज़िन्दगी को आज़माएँ
संभलकर हर क़दम रखना यहाँ पे
कहीं फिर से क़दम ना डगमगाएँ
नहीं यूँ अजनबी बनकर रहें हम
यहाँ पहचान ख़ुद अपनी बनाएँ
असंभव कुछ नहीं है इस जहाँ में
ज़हन में बात ये अपने बिठाएँ
समय भी आज देखो कह रहा है
समय के साथ कुछ बदलाव लाएँ
करें कुछ काम अब ऐसा निराला
वतन में हो अमन सब मुस्कुराएँ
ग़ज़ल ‘जगदीश’ कुछ ऐसी कहो तुम
गये जो रूठ कर फिर लौट आएँ
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल

जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ

काव्य ज्योति नामचीन शायरों, कवियों व कवयित्रियों के बेहतरीन रचनाओं के संगम से निकली एक अखंड ज्योत है जिसकी सहायता से ‘शाद फाउंडेशन’ संस्था जरूरतमंद बच्चों व बेसहाय लोगों की मदद के लिए तत्पर है।