जो जैसा मेरे दर आता। ठीक हूबहू खुद को पाता।। फिर मुझपर आरोप लगाता। पक्षपात कह गाल बजाता।। मैं हँसता [...]
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दर्पण की व्यथा
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जीवन सफल बनाएगा
नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर [...] More -
जला जलाकर हृदय वर्तिका
जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । [...] More -
मानस – दर्पण देख, दोष
मानस - दर्पण देख, दोष - गुण स्वयं निहारें । अपने को पहचान, आप ही आप सुधारें ।। यह आदत [...] More -
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है। मातृशक्ति पार्वती महेश को प्रणाम है।। ज्ञान बुध्दि दायिनी सरस्वती प्रणाम है। मौन तीर्थधाम [...] More -
वक्त के खूँटे से बाँधा
वक्त के खूँटे से बाँधा मोह की जंजीर ने । मुग्ध होकर मैं बँधा ज्यों बाँध रक्खा हीर ने ।। [...] More -
नेता कब क्या सोचते
नेता कब क्या सोचते, करते क्या व्यवहार। मुश्किल इनको समझना,लीला अपरम्पार।। लीला अपरम्पार, एक थैली के चट्टे। लोकतन्त्र के दाँत [...] More -
बच्चों को भी भूख लगे
बच्चों को भी भूख लगे तो हल्ला करते । पशु-पक्षी भी प्रात काल उठ श्रम पर मरते ।। जग के [...] More -
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती । नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।। जब भी [...] More