Tag Archives: अवधेश कुमार ‘अवध’

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  • दर्पण पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    दर्पण की व्यथा

    जो जैसा मेरे दर आता। ठीक हूबहू खुद को पाता।। फिर मुझपर आरोप लगाता। पक्षपात कह गाल बजाता।। मैं हँसता [...] More
  • जीवन सफल बनाएगा

    नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर [...] More
  • जला जलाकर हृदय वर्तिका

    जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । [...] More
  • सुधार पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    मानस – दर्पण देख, दोष

    मानस - दर्पण देख, दोष - गुण स्वयं निहारें । अपने को पहचान, आप ही आप सुधारें ।। यह आदत [...] More
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