जो जैसा मेरे दर आता। ठीक हूबहू खुद को पाता।। फिर मुझपर आरोप लगाता। पक्षपात कह गाल बजाता।। मैं हँसता वह जल भुन जाता। ज्यों दाई से गर्भ छुपाता।। अदल बदल मुखड़े लगवाता। रंग रसायन नित पुतवाता।। शिशु सा नंगा रूप दिखाता। इठलाता एवं शर्माता।। झूठ बोलने को उकसाता। सच्चाई से नज़र चुराता।। लोभ मोह [...]
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दर्पण की व्यथा
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जीवन सफल बनाएगा
नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर मदहोश नहीं होना यारों, लाख ढँके बादल फिर भी सूरज दिन लेकर आएगा। आज नहीं तो कल मुझको मेरी मंजिल मिल जाएगी, किन्तु राह में बहुतों चेहरों से नकाब उठ जाएगा। आपस के तू तू [...] More -
जला जलाकर हृदय वर्तिका
जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । सज्जन हो जाना इस जग में साधारण सा काम नहीं जिसने यह व्रत अपनाया वह परहित ही जीता मरता ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || - अवधेश कुमार 'अवध' [...] More -
मानस – दर्पण देख, दोष
मानस - दर्पण देख, दोष - गुण स्वयं निहारें । अपने को पहचान, आप ही आप सुधारें ।। यह आदत बेकार कि देखें दोष पराया । बेहतर होगा कार्य, करें निज दोष सफाया ।। अगर सभी हों साफ, धरा होगी सुखदाई । गाँठ बाँध लो मन्त्र, सभी बहनें अरु भाई ।। कर लें स्वयं सुधार, [...] More -
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है। मातृशक्ति पार्वती महेश को प्रणाम है।। ज्ञान बुध्दि दायिनी सरस्वती प्रणाम है। मौन तीर्थधाम तापसी व्रती प्रणाम है।। पीठ के महानुभाव संत को प्रणाम है। शारदे विवेकशील कंत को प्रणाम है।। कालिदास कीर्तिमान लेखनी प्रणाम है। सिद्धपीठ न्याय दीप रोशनी प्रणाम है।। राष्ट्र के भविष्य और भूत को प्रणाम [...] More -
वक्त के खूँटे से बाँधा
वक्त के खूँटे से बाँधा मोह की जंजीर ने । मुग्ध होकर मैं बँधा ज्यों बाँध रक्खा हीर ने ।। ना मुझे शिकवा शिकायत ना ही मुझको चैन है । भेद मैं कैसे बताऊँ वार है या रैन है ।। खोलकर दिल रख दिया मैनें जो उनके सामने । भीम को धृतराष्ट्र बनकर वो लगे [...] More -
नेता कब क्या सोचते
नेता कब क्या सोचते, करते क्या व्यवहार। मुश्किल इनको समझना,लीला अपरम्पार।। लीला अपरम्पार, एक थैली के चट्टे। लोकतन्त्र के दाँत सदा कर देते खट्टे।। अवध रचाकर स्वांग हमेशा रहते जेता। गिरगिट के भी बाप, हमारे देशी नेता।। - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर [...] More -
बच्चों को भी भूख लगे
बच्चों को भी भूख लगे तो हल्ला करते । पशु-पक्षी भी प्रात काल उठ श्रम पर मरते ।। जग के सारे सचर-अचर श्रम में हैं आतुर । चाहें हों अति मूढ़ या कि बढ़कर बहु चातुर ।। सबकी अपनी ताल, सभी के सुर हैं अपने । क्षमता के अनुसार, सभी के अपने सपने ।। श्रम [...] More -
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती । नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।। जब भी उसके आस - पास संकट मँडराये । हाथों में तलवार, देख दुश्मन थर्राये ।। वह पुरुषों का दर्प, चूर्ण भी कर सकती है । अपने सपने आप, पूर्ण भी कर सकती है ।। थोड़ा सा [...] More