यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये इस कदर प्यास सुलगती है लबों पर साग़र जाम होंटो के पिला दो, तो ग़ज़ल हो जाये - विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह [...]
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यह हवा और चला दो,
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भर देंगे सब के दिल में,
भर देंगे सब के दिल में, हम ताज़गी भी और रँग दी है ख़ुश्बुओं से, यह शायरी भी और उसका ही नाम अब तो, होंटो पे खेलता है जो भर गया जिगर में, ज़िन्दादिली भी और धीरे से महज़बी ने, घूँघट हटा दिया क्या इस दिल में भर गई है, कुछ रौशनी भी और मेरा [...] More -
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर क़ायम तो इस जहान में कोई मिसाल कर जो मुझसे कह रहा था कि कोई सवाल कर वो शख़्स ले गया है मेरा दिल निकाल कर इस तीरगी का और भी बढ़ने लगा ग़ुरूर कुछ और तेज़ अपना ये रंग-ए-जमाल कर दुनिया की भीड़ भाड़ में खो जाना [...] More -
प्यार का मेरे यह फ़साना है
प्यार का मेरे यह फ़साना है रात भर जागना मनाना है तुझसे मिलकर ही मैंने जाना है कितना आसान मुस्कुराना है इक तेरे प्यार की बदौलत ही मेरा हर दिन हुआ सुहाना है उस बदन की मिसाल क्या दूँ मैं वो मुजस्सिम शराबखाना है छोड़ आया हूँ.दीन दुनिया को तेरा पहलू ही अब ठिकाना है [...] More -
फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह
फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह दिल में होती है उछल कूद हमेशा की तरह इक नज़र देख लिया नाज़ो-अदा से उसने जल उठी फिर.कहीं बारूद हमेशा की तरह जब भी देखा है किसी सम्त उठा कर नज़रें दूर तक आप हैं मौजूद हमेशा की तरह जो भी आया हमें अपनी ही सुनाता आया कोई [...] More -
आहटें हैं ये उनके आने की
आहटें हैं ये उनके आने की चमकी क़िस्मत ग़रीबखाने की है अदा यह भी रूठ जाने की कोई कोशिश करे मनाने की इन अदाओं को हम समझते हैं बात छोड़ो भी आने-जाने की आज छाई हुई है काली घटा याद आती है आशियाने की यह तेरे प्यार का करिश्मा है धूम है हर तरफ़ फ़साने [...] More -
मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को
मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को कि याद कर रहा है ज़माना हुसैन को समझा नहीं यजीद यक़ीनन ये फलसफा करबल से दूर दूर था जाना हुसैन को मसक़न तो उनका सिर्फ़ है ईराक में मगर हर दिल में मिल गया है ठिकाना हुसैन को सर पर खड़ी हैं ग़म की घटाएं तो [...] More -
जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने
जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने मेरे क़लम से वो ही लिखाये हुसैन ने ख़ुश्बू महक रही है फ़ज़ाओं में आज भी कुछ फूल इस तरह के खिलाये हुसैन ने सदियाँ गुज़र गईं हैं मगर आज देखिये उभरे हैं जो नुकूश बनाये हुसैन ने दुनिया को इक चराग़ दिखाने के वास्ते सब दीप [...] More -
बुझ रहे थे रफ़्ता रफ़्ता जो फ़सीलों के चराग़
बुझ रहे थे रफ़्ता रफ़्ता जो फ़सीलों के चराग़ आपने आकर जलाये वो उमीदों के चराग़ दिल बहुत मायूस था तो ज़िन्दगी रूठी हुई अब हवा से लड़ रहे हैं हम मुरीदों के चराग़ -विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की मुक्तक विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More