रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर क़ायम तो इस जहान में कोई मिसाल कर जो मुझसे कह रहा था कि कोई सवाल कर वो शख़्स ले गया है मेरा दिल निकाल कर इस तीरगी का और भी बढ़ने लगा ग़ुरूर कुछ और तेज़ अपना ये रंग-ए-जमाल कर दुनिया की भीड़ भाड़ में खो जाना तू नहीं इस ज़िन्दगी के वास्ते कुछ तो कमाल कर इस दिल के साथ-साथ न लुट जाये ज़िन्दगी रखना रह-ए-वफ़ा में क़दम देखभाल कर फ़ितनागरों से कह दो कि देखें कभी कभी अपनी नज़र को अपने गिरेबाँ पे डाल कर क्या जाने पड़ ही जाये ज़रूरत तुम्हें कभी तुम नेकियों को रखना हमेशा संभाल कर साग़र है तेरे वास्ते मैखाना मुंतज़िर इस रंगे-नौबहार का कुछ तो ख़याल कर –विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर
क़ायम तो इस जहान में कोई मिसाल कर
जो मुझसे कह रहा था कि कोई सवाल कर
वो शख़्स ले गया है मेरा दिल निकाल कर
इस तीरगी का और भी बढ़ने लगा ग़ुरूर
कुछ और तेज़ अपना ये रंग-ए-जमाल कर
दुनिया की भीड़ भाड़ में खो जाना तू नहीं
इस ज़िन्दगी के वास्ते कुछ तो कमाल कर
इस दिल के साथ-साथ न लुट जाये ज़िन्दगी
रखना रह-ए-वफ़ा में क़दम देखभाल कर
फ़ितनागरों से कह दो कि देखें कभी कभी
अपनी नज़र को अपने गिरेबाँ पे डाल कर
क्या जाने पड़ ही जाये ज़रूरत तुम्हें कभी
तुम नेकियों को रखना हमेशा संभाल कर
साग़र है तेरे वास्ते मैखाना मुंतज़िर
इस रंगे-नौबहार का कुछ तो ख़याल कर
–विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल
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