ख़ाक उड़ाते हुए ये म'अरका सर करना है इक न इक दिन हमें इस दश्त को घर करना है ये [...]
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ख़ाक उड़ाते हुए ये म’अरका सर करना है
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जो बच गए हैं चराग़ उन को बचाए रक्खो
जो बच गए हैं चराग़ उन को बचाए रक्खो मैं जानता हूँ हवा से रिश्ता बनाए रक्खो ज़रूर उतरेगा आसमाँ [...] More -
जितना तेरा हुक्म था उतनी सँवारी ज़िंदगी
जितना तेरा हुक्म था उतनी सँवारी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से कहाँ हम ने गुज़ारी ज़िंदगी मेरे अंदर इक नया ग़म [...] More -
घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा
घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा वो मिरे चश्मे में जब अपनी नज़र रख जाएगा क़ैद [...] More -
दिल में हसरत कोई बची ही नहीं
दिल में हसरत कोई बची ही नहीं आग ऐसी लगी बुझी ही नहीं उस ने जब ख़ुद को बे-नक़ाब किया [...] More -
दरवाज़ा-ए-हस्ती
दरवाज़ा-ए-हस्ती से न इम्लाक से निकला पैग़ाम-ए-वफ़ा ख़ुश्बू-ए-इदराक से निकला फिर आज कुरेदी गई वो ख़ाक-ए-नशेमन फिर गौहर-ए-मक़्सूद उसी ख़ाक [...] More -
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं बहुत दिनों से अना के शिकार हम भी हैं फ़क़त तुम्हीं को नहीं इश्क़ [...] More -
चाहता ये हूँ कि
चाहता ये हूँ कि बेनाम-ओ-निशाँ हो जाऊँ शम्अ' की तरह जलूँ और धुआँ हो जाऊँ पहले दहलीज़ पे रौशन करूँ [...] More -
चाँद सा चेहरा
चाँद सा चेहरा कुछ इतना बेबाक हुआ एक ही पल में शब का दामन चाक हुआ घर के अंदर सीधे [...] More