अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ एक इक ज़ख़्म को चेहरे पे सजा लाया हूँ देख चेहरे की इबारत [...]
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अपने दुख-दर्द का अफ़्साना
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अजीब हालत है
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ वो मेरे अंदर उतर गया है मैं ख़ुद से बाहर [...] More -
अगर दश्त-ए-तलब से
अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते मोहब्बत करने वाले दल परेशानी में आ जाते हिसार-ए-सब्र से जिस रोज़ मैं [...] More