बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर। जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है। बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने लगे। मठपाल का देख मजीरा सागर लहराने लगे। प्रेम भंडारी गुप्तेश्वरजी रौशन करें जहान। बुरा न मानो मेरे विनय जी होली है विहान। मलती गुलाल हेमा शिल्पी के गाल पे। मधुजी रंग लगावें प्रीता जी [...]
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बुरा न मानो होली है
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तुमको सुविधायें मिली
तुमको सुविधायें मिली लेकिन हमें कठिनाईयां । देख लो फिर भी वही पर हम भी प्यारे आ गये । जब लगी ज्यादा सुरक्षित निध॔नों की झोपड़ी नसीर । छोड़कर अपने महल हम डर के मारे आ गये । पार कर गहरा समन्दर हम किनारे आ गये । नाव थी टूटी मगर उसके सहारे आ गये [...] More -
प्यार तीर सा चुभना
प्यार तीर सा चुभना पर दिल का उनपर ही लुभना । मुहब्बत की पहचान है । चेहरे की बनावट की वजह है ये मुहब्बत । जो दिल में समा जाए वो दिलवर सा लगे है । चेहरा है हसीन सितमगर सा लगे है । वह चांद है लेकिन मुझे खंजर सा लगे है । - [...] More -
प्रश्न मन मे हैं
प्रश्न मन मे हैं अनगिन सभी के मगर । लोग चिन्तित ह्दय हैं इन्हे सोचकर । निर्धनों के कुपोषित ये बच्चे कहें । क्या मिलेगी हमें रोटियां पेटभर । जन्म पाकर हिन्द में अपनी बनी तकदीर है । भाईचारे की यहां ऐसी जुड़ी जंजीर है । बोलियां भाषा अलग हैं फ़र्क लेकिन कुछ नहीं । [...] More -
देखता हूं वह कहां तक उडेगा
देखता हूं वह कहां तक उडेगा । जहां तक उडेगा गगन मे रहेगा । भापेंगा जब कोई खतरा नसीर । जमीं पर उसको सुरक्षित रखेगा । - नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की मुक्तक मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
दिल बिछड़ने को नही है ।
दिल बिछड़ने को नही है । साथ बस निभाने की है । दिल प्यार से लबालब नसीर । हो गया अस्तित्व घुलनशील है । - नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की मुक्तक मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
जब भी हम एक हो जायें
जब भी हम एक हो जायें। फिर से मालामाल हो जायें । जिन्दगी आसान हो जाऐ । वाद-विवाद बिना बढाऐ । बात की मर्म जानकर । प्यार से ही निभाया जाए । आपसी सहमति दिखाई जाए । शब्द जाल मे न उलझाया जाए । हर प्राणी का रूह एक है जानिए। इसको किसे चीरकर दिखाया [...] More -
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा । यह प्रश्न जब कोई उठाती लोग लेते अन्यथा । कोई भी तो नही है इसकी व्यथा सुनने वाला । यदि सुन भी ले तो कौन यहां गुनने वाला । वह कह रही है कब से अपने दिल का हाल । कोई भी तो होता हल [...] More -
हर व्यक्ति को समझाइये
हर व्यक्ति को समझाइये लहू का रंग एक है, मत भेदभाव बढ़ाईये लहू का रंग एक है इंसान को इंसान से जो बाँट रही है , दीवार वह गिराइये लहू का रंग एक है -नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की कविता मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना [...] More