तुमको सुविधायें मिली लेकिन हमें कठिनाईयां ।
देख लो फिर भी वही पर हम भी प्यारे आ गये ।
जब लगी ज्यादा सुरक्षित निध॔नों की झोपड़ी नसीर ।
छोड़कर अपने महल हम डर के मारे आ गये ।
पार कर गहरा समन्दर हम किनारे आ गये ।
नाव थी टूटी मगर उसके सहारे आ गये ।
था भरोसा बस खुदा का हौसला दिल में नसीर ।
जो न तूफां से डरे वो लोग सारे आ गये ।
नौकरी नहीं लगी तो जीने से क्या फायदा ।
कह के कूदे चलती ट्रेन में कटने में फायदा ।
क्या होगा झेल रहे बेरोजगारी का दंश नसीर ।
शिक्षा हो गुणवत्तापूर्ण रोजगारपरक हो वादा ।
हमसब इतने मजबूर कह नहीं सकते ।
आखिर क्यों है मगरूर कह नहीं सकते ।
देखिए नफरत हिंसा का बोलबाला नसीर ।
कब होगी प्रेम और भाईचारा कह नहीं सकते ।
भूखमरी सूचकांक एक सौ तीन आगे क्या होगा ।
आज भी तकनीकी शिक्षा का अभाव क्या होगा ।
स्वास्थ्य इलाज भी खस्ताहाल कैसे चलेगा नसीर ।
सोचिए विकास में भी हिलाहवाली का क्या होगा ।
तुमको सुविधायें मिली
तुमको सुविधायें मिली लेकिन हमें कठिनाईयां ।
देख लो फिर भी वही पर हम भी प्यारे आ गये ।
जब लगी ज्यादा सुरक्षित निध॔नों की झोपड़ी नसीर ।
छोड़कर अपने महल हम डर के मारे आ गये ।
पार कर गहरा समन्दर हम किनारे आ गये ।
नाव थी टूटी मगर उसके सहारे आ गये ।
था भरोसा बस खुदा का हौसला दिल में नसीर ।
जो न तूफां से डरे वो लोग सारे आ गये ।
नौकरी नहीं लगी तो जीने से क्या फायदा ।
कह के कूदे चलती ट्रेन में कटने में फायदा ।
क्या होगा झेल रहे बेरोजगारी का दंश नसीर ।
शिक्षा हो गुणवत्तापूर्ण रोजगारपरक हो वादा ।
हमसब इतने मजबूर कह नहीं सकते ।
आखिर क्यों है मगरूर कह नहीं सकते ।
देखिए नफरत हिंसा का बोलबाला नसीर ।
कब होगी प्रेम और भाईचारा कह नहीं सकते ।
भूखमरी सूचकांक एक सौ तीन आगे क्या होगा ।
आज भी तकनीकी शिक्षा का अभाव क्या होगा ।
स्वास्थ्य इलाज भी खस्ताहाल कैसे चलेगा नसीर ।
सोचिए विकास में भी हिलाहवाली का क्या होगा ।
– नसीर बनारसी
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी का मुक्तक
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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