अन्न का भंडार फूलों की बहार नव कोपलें फूट रही नव वर्ष का संचार खेतों की फसल खुली तिजोरी बेईमान [...]
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अन्न का भंडार
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लगा रहे कलम
लगा रहे कलम हो रहा कृत्रिम गर्भाधान पैदा करने उन्नत बीज - फल वर्ण संकर के जानवर परिणाम अधिक उत्पादन [...] More -
गगन सा तुम्हारा ह्रदय है
गगन सा तुम्हारा ह्रदय है सब रागों की तुममें लय है तुमको सिर्फ भोग्या माना देखो अब कितना प्रलय है [...] More -
अंधी दौड़ में किसी को फुरसत नहीं
अंधी दौड़ में किसी को फुरसत नहीं बिखरते रिश्तों में बुजर्गों को इज्जत नहीं पहुँच जाओ चाहे किसी मुकाम पर [...] More -
आती रही दुश्वारियाँ, सजी रही क्यारियाँ
आती रही दुश्वारियाँ सजी रही क्यारियाँ वक्त हमें सिख