
आज दामन उदासी से
आज दामन उदासी से भर गया,
इक गम काम अपना कर गया।
अपने बिस्तर पर सोते सोते ही,
मैं, सपने में जाने किधर गया।
दुख की घडियां क्या आई,
वक्त न जाने क्यूँ ठहर गया।
बाप ने बेटी को जब विदा किया,
इक समंदर आंखो मे उतर गया।
कोहिनूर की इच्छा शक्ति देखो,
कोयले की सौबत मे निखर गया।
चुनावी मौसम मे जो ख़ूब गरजा,
वो बादल बारिश से मुकर गया।
ऐसा विकास हुआ है देखो,
पुरा गाँव चल कर शहर गया।
पी एल बामनिया जी की गज़ल

पी एल बामनिया जी की रचनाएँ

काव्य ज्योति नामचीन शायरों, कवियों व कवयित्रियों के बेहतरीन रचनाओं के संगम से निकली एक अखंड ज्योत है जिसकी सहायता से ‘शाद फाउंडेशन’ संस्था जरूरतमंद बच्चों व बेसहाय लोगों की मदद के लिए तत्पर है।