आइना सच बोलता है राज़ सबके खोलता है जानता जब कुछ नहीं तो बीच में क्यों बोलता है फायदा जब कुछ नहीं तो फिर उधर क्यों डोलता है देख साहस झूठ का तू यार सच को तोलता है चार सू सूखा ही सूखा और पानी ढोलता है दोस्तों को तू लड़ाकर क्यों ज़हर यूँ घोलता है चल चलें ‘जगदीश’ के घर बोल मीठे बोलता है – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आइना सच बोलता है
आइना सच बोलता है
राज़ सबके खोलता है
जानता जब कुछ नहीं तो
बीच में क्यों बोलता है
फायदा जब कुछ नहीं तो
फिर उधर क्यों डोलता है
देख साहस झूठ का तू
यार सच को तोलता है
चार सू सूखा ही सूखा
और पानी ढोलता है
दोस्तों को तू लड़ाकर
क्यों ज़हर यूँ घोलता है
चल चलें ‘जगदीश’ के घर
बोल मीठे बोलता है
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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