इस तरह से हाल पूछा, मौन रह कर सवाल पूछा। चिंता कोई नही है जब, फिर कैसे उडे बाल पूछा। शिकारी ने परिंदे से कैसा लगा जाल पूछा। प्यादे ने वज़ीर को मात दे कर कैसी है ये चाल पूछा। मिला जब विकास हमसे, कहाँ है आटा दाल पूछा। नीरव मोदी, विजय माल्या से कहाँ छुपाया माल पूछा। बढती हुई GDP की दर से, लोग क्यूँ है कंगाल पूछा। पाक के लोगों ने इमरान से, कैसै बचेगी खाल पूछा। – पी एल बामनिया पी एल बामनिया जी की गज़ल पी एल बामनिया जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
इस तरह से
इस तरह से हाल पूछा,
मौन रह कर सवाल पूछा।
चिंता कोई नही है जब,
फिर कैसे उडे बाल पूछा।
शिकारी ने परिंदे से
कैसा लगा जाल पूछा।
प्यादे ने वज़ीर को मात दे कर
कैसी है ये चाल पूछा।
मिला जब विकास हमसे,
कहाँ है आटा दाल पूछा।
नीरव मोदी, विजय माल्या से
कहाँ छुपाया माल पूछा।
बढती हुई GDP की दर से,
लोग क्यूँ है कंगाल पूछा।
पाक के लोगों ने इमरान से,
कैसै बचेगी खाल पूछा।
– पी एल बामनिया
पी एल बामनिया जी की गज़ल
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