सुबहा चहुँ दिश हँस रही, भाग गई सब रात नयनों से जब गया, वो इस दिल की बात उसकी आँखों में पढ़ा मैने जब वो खूवाब मुझको उतारना पड़ा चेहरे से नकाब सपनों ने आकाश में जब जब छिड़का रंग मेरे घर बजने लगा फागुन वाला चंग हँसते हँसते कह रही, देख! बसन्त बहार अब [...]
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सुबहा चहुँ दिश हँस रही,
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ज़िन्दगी की बात फिर
ज़िन्दगी की बात फिर करने लगे। ये क़दम रुके थे फिर चलने लगे।। भावनाएँ हिलोरें लेने लगीं मीन बनकर नदी में रहने लगीं फिर सपन, विहग बन उड़ने लगे। ये क़दम रुके थे फिर चलने लगे।। चाँद के अधरों पे हँसती चाँदनी सनसनाती पवन छेड़े रागिनी फिर नज़ारे बाँह में कसने लगे। ये क़दम रुके [...] More -
मौन रहकर काम करता
मौन रहकर काम करता शोर मैं करता नहीं टूट सकता हूँ यहाँ मैं झुक कभी सकता नहीं हौंसले मेरे बुलन्दी पर खड़े हैं देख ले जब निकल पड़ता हूँ घर से फिर कहीं रुकता नहीं देखना मैं एक दिन सबको हिला दूंगा यहाँ भावना में बात बहकर मैं कभी कहता नहीं ये कटीले रास्ते मैंनें [...] More -
दिल के जज़्बात
दिल के जज़्बात सभी कहने दो दूसरी बात अभी रहने दो थाम लो हाथ हमारा जानम दूरियाँ आज सभी ढहने दो ये ज़माना न कर सकेगा कुछ ये ज़माना जो कहे ने कहने दो जो मिले दर्द जहाँ से तुमको कुछ हमें भी वो दर्द सहने दो जो ग़ज़ल हमने कही तेरे लिए वो ग़ज़ल [...] More -
तू नज़र कुछ तो मिला
तू नज़र कुछ तो मिला तेरा इशारा चाहिए रूठकर मत जा सनम तेरा सहारा चाहिए आदमी बनकर रहूँगा ये मेरा वादा रहा साथ मुझको ओ सनम केवल तुम्हारा चाहिए चाँदनी बनकर हँसो मेरी ग़ज़ल के शेर में शेर मुझको ओ सनम ऐसा करारा चहिए ज़िन्दगी हँसने लगे ऐसा करूँ मैं काम कुछ देखने को अब [...] More -
आदमी को क्या हुआ
आदमी को क्या हुआ ये कह रहा है आइना लड़ रहे क्यों आदमी ये सोचता है आइना मारता क्यों आदमी को आदमी ही है यहाँ बात ये सारे जहाँ से पूछता है आइना अब शराफ़त की जहाँ में मीत कुछ क़ीमत नहीं ये हक़ीक़त जानकर सब, रो रहा है आइना गाँव की चौपाल भी तो [...] More -
चुप्पी साधे
चुप्पी साधे जब व्यक्ति मौन होता है मौन मे ही प्रश्न का हवाला होता है । दूसरों को जानने से पहले खु़द को जानो बाहर से जो हँसते उनका दर्द भी पहचानो दर्द की तहों में ही उजाला होता है मौन में ही प्रश्न का हवाला होता है । हिय में सबके प्रीत का घर [...] More -
सपनों को आकाश दे,
सपनों को आकाश दे, रिश्तों को नव-सांस मीत! कभी टूटे नहीं, अपनों का विश्वास महंगाई हर दुवार पर चला रही तलवार हर व्यक्ति घायल हुआ, खाकर इसकी मार पल दो पल की ज़िन्दगी ओ! भोले इन्सान कल का तुझे पता नहीं जोड़ रहा सामान कुछ भी तो ना कर सका मैं उसका सत्कार मुझको जो [...] More -
फिसलन ही फिसलन यहां,
फिसलन ही फिसलन यहां, फिसल रहा इंसान कीचड़ में सनकर यहां भूल रहा ईमान भोर हुई किरणें हँसें, पंछी गायें गान अब तो उठ जा बांवरे, मत सो चादर तान कोयल कूके डाल पर भंवर करे गुंजार पीली सरसों हँस रही हँसे बसन्त बहार आदमी ने बदल लिया, जब जीने का ढंग फीका फीका सा [...] More