Tag Archives: जगदीश तिवारी

  • सुबहा चहुँ दिश हँस रही,

    सुबहा चहुँ दिश हँस रही, भाग गई सब रात नयनों से जब गया, वो इस दिल की बात उसकी आँखों [...] More
  • रुके कदम चलने पर गीत, जगदीश तिवारी

    ज़िन्दगी की बात फिर

    ज़िन्दगी की बात फिर करने लगे। ये क़दम रुके थे फिर चलने लगे।। भावनाएँ हिलोरें लेने लगीं मीन बनकर नदी [...] More
  • बुलंद होसलो पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    मौन रहकर काम करता

    मौन रहकर काम करता शोर मैं करता नहीं टूट सकता हूँ यहाँ मैं झुक कभी सकता नहीं हौंसले मेरे बुलन्दी [...] More
  • प्यार की बात करने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    दिल के जज़्बात

    दिल के जज़्बात सभी कहने दो दूसरी बात अभी रहने दो थाम लो हाथ हमारा जानम दूरियाँ आज सभी ढहने [...] More
  • तू नज़र कुछ तो मिला

    तू नज़र कुछ तो मिला तेरा इशारा चाहिए रूठकर मत जा सनम तेरा सहारा चाहिए आदमी बनकर रहूँगा ये मेरा [...] More
  • समय के साथ परिवर्तन पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आदमी को क्या हुआ

    आदमी को क्या हुआ ये कह रहा है आइना लड़ रहे क्यों आदमी ये सोचता है आइना मारता क्यों आदमी [...] More
  • भेदभाव चोर एक होने पर गीत, जगदीश तिवारी

    चुप्पी साधे

    चुप्पी साधे जब व्यक्ति मौन होता है मौन मे ही प्रश्न का हवाला होता है । दूसरों को जानने से [...] More
  • सपनों को आकाश दे,

    सपनों को आकाश दे, रिश्तों को नव-सांस मीत! कभी टूटे नहीं, अपनों का विश्वास महंगाई हर दुवार पर चला रही [...] More
  • इंसान के ईमान बदलने पर दोहे, जगदीश तिवारी

    फिसलन ही फिसलन यहां,

    फिसलन ही फिसलन यहां, फिसल रहा इंसान कीचड़ में सनकर यहां भूल रहा ईमान भोर हुई किरणें हँसें, पंछी गायें [...] More
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