इश्क की आबरू हम बढ़ाते रहे अश्क पीते रहे मुस्कुराते रहे यूँ तो वाबस्तगी हर क़दम पर रही जाने क्यों हौसले डगमगाते रहे - विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की इश्क पर कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
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इश्क की आबरू हम बढ़ाते रहे
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उनसे रौशन है ज़िन्दगी अपनी
रश्क करती है हर ख़ूशी अपनी उनसे रौशन है ज़िन्दगी अपनी ज़ुल्म सारे ही ढा चुकी दुनिया फिर भी हँसती है दोस्ती अपनी जो भी माँगा वो दे दिया उसको हमने रोयी न बेबसी अपनी यूँ भी वाबस्ता हैं ये उम्मीदें सबने देखी है दिलबरी अपनी यूँ खटकने लगे हैं हम सबको उनको भाती है [...] More