अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ एक इक ज़ख़्म को चेहरे पे सजा लाया हूँ देख चेहरे की इबारत को खुरचने के लिए अपने नाख़ुन ज़रा कुछ और बढ़ा लाया हूँ बेवफ़ा लौट के आ देख मिरा जज़्बा-ए-इश्क़ आँसुओं से तिरी तस्वीर बना लाया हूँ मैं ने इक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया [...]
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अपने दुख-दर्द का अफ़्साना
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अजीब हालत है
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ वो मेरे अंदर उतर गया है मैं ख़ुद से बाहर निकल रहा हूँ बहुत से लोगों में पाँव हो कर भी चलने-फिरने का दम नहीं है मिरे ख़ुदा का करम है मुझ पर मैं अपने पैरों से चल रहा हूँ मैं कितने अशआर लिख के [...] More -
अगर दश्त-ए-तलब से
अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते मोहब्बत करने वाले दल परेशानी में आ जाते हिसार-ए-सब्र से जिस रोज़ मैं बाहर निकल आता समुंदर ख़ुद मिरी आँखों की वीरानी में आ जाते अगर साए से जल जाने का इतना ख़ौफ़ था तो फिर सहर होते ही सूरज की निगहबानी में आ जाते जुनूँ की अज़्मतों [...] More