रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या । ये हर दफा तुमको दिखाते रहें क्या । उनको पता है सब उदासी हमारी, दिल में जफ़ा उनकी छुपाते रहें क्या । तुम भी ज़रा कोशिश करो तो वफ़ा की ये फ़लसफ़ा हम ही पढ़ाते रहें क्या । कब दूर की बोलो शिक़ायत दर्द की, होकर ख़फ़ा [...]
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रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या
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नशेमन का जिगर देखो
नशेमन का जिगर देखो । बिजलियों में गुज़र देखो । मुसीबत ही मुसीबत है, जहाँ देखो जिधर देखो । रफिक़ों को लड़ा डाला, रक़ीबों का हुनर देखो । हिदायत है बड़े घर की, नहीं चाहो मगर देखो । ग़रीबी ने झुका दी है, लड़कपन की कमर देखो । क़लम स्याही नहीं मिलती, अदीबों का नगर [...] More -
अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास
अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये फ़लसफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये रौनके ज़माना ये उम्र की ख़ुमारी, सब बेवफ़ा समझकर आना हमारे पास । सौदा ए इश्क़ यूँ भी बिल्कुल अजीब शय है, घाटा सफा समझकर आना हमारे पास । देखीं हैं सिर्फ तुमने हमारी मुरव वतें, अब हैं ख़फ़ा समझकर [...] More -
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा । फूले फले गुलशन ये दुआ छोड़ जाऊंगा । सजती रहे ये महफ़िल मेरे बाद भी यूँ हीं , शेरो सुख़न का वो सिलसिला छोड़ जाऊंगा । यूँ हीं नहीं जाऊंगा सुनों देर ए फ़ानी से , जाते हुवे मन्ज़िल का पता छोड़ जाऊंगा । रँजूर हो जाएगी [...] More -
कम तौले जो आदमी
कम तौले जो आदमी, जावे अस्पा ताल । रिशवत ख़ोरी की सज़ा, देता उसको काल । - इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रिशवतख़ोरी पर कविता इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
ख़ुदा सितारों सी बुलन्दी मत दे
ख़ुदा सितारों सी बुलन्दी मत दे ज़मीं पे रहने का सलीक़ा दे दे हरेक घर पर एक सा ही चमके हमें मुहाफ़िज़ चाँद सरीखा दे दे - इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' द्वारा रचित हिंदी शायरी [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
कच्ची माटी से घड़े
कच्ची माटी से घड़े, अलग अलग दे नाम । भांत भांत के ठामड़े, आवें जग के काम । - इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' द्वारा रचित हिंदी दोहा [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More