विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं ग़ज़ल लेती वहीं अंगड़ाइयाँ हैं जिसे चाहा हमें मिल जाए गर वो सताती फिर नहीं तनहाइयाँ हैं शजर काटे गए जिस गाँव में भी वहाँ चलती नहीं पुरवाइयाँ हैं क़दम अपने वहीं रखना सनम तुम जहाँ हँसती सदा अच्छाइयाँ हैं समय के साथ जो चलता हमेशा उसे आती नहीं कठिनाइयाँ [...]
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विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं
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सावन का मौसम है फिर भी क्यों पसरा है पतझर
कुछ भी ना बाहर है बाबा जो भी है भीतर है बाबा सावन का मौसम है फिर भी क्यों पसरा है पतझर बाबा वहीं क़दम अपने रखने हैं जहाँ मिले आदर है बाबा उतने ही तुम पैर पसारो जितनी चादर घर है बाबा बेघर क्यों कहते हो खुद को अपने भीतर घर है बाबा उससे [...] More -
यार वो भी कमाल करता है
यार वो भी कमाल करता है अपने दुश्मन को साथ रखता है हाथ में एक गुलाब रखता है और हँस हँस के बात करता है जिनसे उसे यहां मिला धोखा उन पे ही एतबार करता है अपनी ग़लती पे ख़ुद ही अपने से आप ही आप ख़ुद से लड़ता है रौशनी बांटता है दुनियां को [...] More