Tag Archives: गोविन्द व्यथित

  • स्टेशन मास्टर पर कविता, गोविन्द

    स्टेशन से मीलो की दूरी पर

    स्टेशन से मीलो की दूरी पर खड़ा कर दिया गया है मुझे निर्जन में, अकेले, चुपचाप पाषाण की भांति मेरी आँखें, सुर्ख लाल हो गई हैं जागते-जागते रात भर पहले शाम को भूख-प्यास के नाम पर थोड़ा सा, मिट्टी का तेल पिला दिया जाता था हमें जिससे मेरे ह्रदय में जलन सी होती थी उसकी [...] More
  • दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर वो सो रहे हैं हार कर, अपने मकान पर जो लोग अपने आप को कहते थे सूरमां फूले हैं हाथ पाँव हक़ीक़त बयान पर सस्ता है आदमी का कलेजा खरीदिये ताज़ा हैं ख़ून लीजिये मेरी दुकान पर क्यों कल की फ़िक्र करें गवायें ये जान हम जो [...] More
  • बच्चा जवां हुआ है हिंदी ग़ज़ल

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के है देखता उसी को, तेवर बदल-बदल के माँ के कदम के नीचे, रहती है देख जन्नत जाती है हर मुसीबत, उसकी दुआ से टल के अपने लिए न सोचा, उसने बचाया सबको परिवार की चिमनियों, औ भट्टियों में जल के फँस जायेगा कबूतर, फिर जाल में [...] More
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