आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची शान झूठी रखी अनां बेची वर्क इतिहास के गवाही दें कौनसी चीज़ कब कहाँ बेची जोश रखकर यहाँ खरीदी जो होश खोकर उसे वहाँ बेची क्या मुहाफिज़ कहें उन्हे अपना पेट के वास्ते जबाँ बेची दौर गर्दिश में ये खबर किसको रात कितनी जवाँ-जवाँ बेची कसमें वादे हया वफा उलफत [...]
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आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची
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खिंच लाती है
खिंच लाती है जुस्तजू तेरी अच्छी लगती है गुफ्तगू तेरी फूल में चाँद में हरेक मंज़र में शक्ल दिखती है हूबहू तेरी मालोज़र क्या है कुछ नहीं ये जहाँ जां से प्यारी है आबरू तेरी तपता सहरा हो या हो ग़म की घटा चैन देती है आरजू तेरी ना हुआ तुझसा और ना होगा खुद [...] More -
उम्र कुछ इस तरह
उम्र कुछ इस तरह बिता दी है राख के ढेर को हवा दी है आपका फ़ैसला निराला है ज़िन्दगी बख्श कर सज़ा दी है खूब चारागरी निभाई है आखरी सांस पे दवा दी है डूबने का जहाँ शुबा देखा राह वो ही हमें दिखा दी है इससे ज़्यादा क्या वफ़ा होगी आबरू दाव पर लगा [...] More -
रगे खू में क्या
रगे खू में क्या घुला क्या कहें हम जबाँ रख के बेजुबाँ क्यूं रहें हम जबाँ पर ताले लगे है ज़र्फ़ के कम ज़र्फ़ को कम ज़र्फ़ ना कहें हम उजाड़ा घर को सियासतगरों ने कहाँ जाकर बोलिये अब रहें हम मुनासिब ये तो नहीं हो सकेगा तमाशा देखा करे चुप रहे हम गुलाबों की [...] More -
और हम क्या-क्या
और हम क्या-क्या करें मुस्कराने के लिये घर हमने जला दिया जगमगाने के लिये दोस्ती वादे वफा सब फरेबों के भरे एक भी शय ना बची दिल लगाने के लिये आपमें हममें रहा फर्क ये सब से बड़ा आप हो अपने लिये हम ज़माने के लिये ना पता अपना हमें ना ज़माने की खबर याद [...] More -
धनवानों का ही भला,
धनवानों का ही भला, करने वाले लोग । छाती में नासूर हैं, दूर हटाओ रोग । जल्दी से इस रोग का, कर दो जी उपचार । वरना बढ़ता जायगा, इनका अत्याचार - इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो [...] More -
तजो बातें हिंदुओं
तजो बातें हिंदुओं से मुसलमा की लड़ाई की । करो कोशिश हमेशां अब चन्द्रमाँ पर चढ़ाई की । कदम मिलकर बढ़ाने का चलन पैदा करो ऐसा, यही सच्ची सही सौग़ात होगी फिर बड़ाई की । - इक़बाल हुसैन ‘इक़बाल’ इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह [...] More -
इधर देखना ना उधर देखना है
इधर देखना ना उधर देखना है । अगर देखना है तो घर देखना है । सदा मम्मी पापा को रखना नज़र में । प्यारी सी पत्नी भी रहती है घर मे बच्चों का हर इक पहर देखना है । कभी भूल कर भी उलंघन ना करना । अपनी ही जान का दुश्मन ना बनना । [...] More -
हरिक साया जलाने सा रहा
हरिक साया जलाने सा रहा । और वादा बहाने सा रहा । तोड़ कर वो भरोसा यूँ गया, शक्ल अब ना दिखाने सा रहा । आपकी उस मुहब्बत का सिला, बस तमाशा दिखाने सा रहा । बे वफ़ा के लिये हर राबता, एक परदा गिराने सा रहा । चोट ऐसी जगह दे के गया, ज़ख़्म [...] More