गगन सा तुम्हारा ह्रदय है सब रागों की तुममें लय है तुमको सिर्फ भोग्या माना देखो अब कितना प्रलय है गुलाब -चमेली तुममें समाहित गंगा-जमना तुमसे प्रवाहित चमन की खुशबू तुमसे है फिर क्यों हो रही प्रताड़ित जिस्म का बाज़ार सज़ाया हवश का शिकार बनाया ह्रदय विदारक चीत्कारें हैं किसने ये अधिकार जताया सब दौलत [...]
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गगन सा तुम्हारा ह्रदय है
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अंधी दौड़ में किसी को फुरसत नहीं
अंधी दौड़ में किसी को फुरसत नहीं बिखरते रिश्तों में बुजर्गों को इज्जत नहीं पहुँच जाओ चाहे किसी मुकाम पर प्यार की रिश्तों बिना जन्नत नहीं सपने चाहे लाख देखो कुछ भी हासिल नहीं गर मेहनत नहीं कितनी भी पास हो मंज़िल क्या बढ़ेगें कदम गर हिम्मत नहीं सुख -दुःख तो धूप-छाँव बिन संतोष कोई [...] More -
ज़िन्दगी अपनी ख़्वार कर बैठे
ज़िन्दगी अपनी ख़्वार कर बैठे बेवफ़ा से जो प्यार कर बैठे दिल्लगी -दिल्लगी में ही देखो वो हमारा शिकार कर बैठे होश आया भी तो कहाँ आया जबकि सब कुछ निसार कर बैठे रोने धोने से भी है क्या हासिल जब हदें सारी पार कर बैठे अपनी ख़ुशियाँ भी वार दीं उस पर जाने कैसा [...] More -
ज़मीने दिल पे तेरी याद का दरिया मचलता है
ज़मीने दिल पे तेरी याद का दरिया मचलता है तसव्वुर के फ़लक पे जब तेरा चेहरा मचलता है - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की लम्हों पर कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा
इन वादियों में अपनी सदा छोड़ जाऊंगा । फूले फले गुलशन ये दुआ छोड़ जाऊंगा । सजती रहे ये महफ़िल मेरे बाद भी यूँ हीं , शेरो सुख़न का वो सिलसिला छोड़ जाऊंगा । यूँ हीं नहीं जाऊंगा सुनों देर ए फ़ानी से , जाते हुवे मन्ज़िल का पता छोड़ जाऊंगा । रँजूर हो जाएगी [...] More -
इश्क की आबरू हम बढ़ाते रहे
इश्क की आबरू हम बढ़ाते रहे अश्क पीते रहे मुस्कुराते रहे यूँ तो वाबस्तगी हर क़दम पर रही जाने क्यों हौसले डगमगाते रहे - विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की इश्क पर कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
काव्य ज्योति जल उठी रौशन हो दिन रात
काव्य ज्योति जल उठी रौशन हो दिन रात आओ मिल कर हम करें ऐसी कोई बात - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की रौशनी पर कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
कम तौले जो आदमी
कम तौले जो आदमी, जावे अस्पा ताल । रिशवत ख़ोरी की सज़ा, देता उसको काल । - इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रिशवतख़ोरी पर कविता इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
हमें अपनी ज़िंदगी से
हमें अपनी ज़िंदगी से कुछ यूँ मिटा दीजिए जैसे रेत में पानी की बूँदें मिट जाती हैं दुनिया यूँ न कह सके कि हम मिले थे कभी मेरे चेहरे को कुछ इस तरह भुला दीजिए - एकता खान एकता खान जी की ज़िंदगी पर कविता पर कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको [...] More