• दिन भर की भाग दौड़

    दिन भर की भाग दौड़ के बाद थके हारे पक्षी बेचारे अपने घास-फूस के घोसलों की और लौट रहे हैं [...] More
  • अपनों से रिस्ता निभाने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    दिल जो तुम से

    दिल जो तुम से लगा नहीं होता ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता साथ जो छोड़ तुम चले जाते पास कुछ [...] More
  • हर पल की तुम

    हर पल की तुम बात न पूछो कैसे गज़री रात न पूछो बाहर सब कुछ सूखा सूखा अंदर की बरसात [...] More
  • आदमी ख़ुद से

    आदमी ख़ुद से मिला हो तो ग़ज़ल होती है ख़ुद से गर शिकवा गिला हो तो ग़ज़ल होती है अपने जज़्बात [...] More
  • ईमान के बिकने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    उड रहे गुलाल और अबीर

    उड रहे गुलाल और अबीर, जश्न जीत का हो रहा है । कोई हारा कोई जीत गया, लोकतंत्र का शंखनाद [...] More
  • जीवन के सुख दुख पर कविता, पी एल बामनिया

    खुबसूरत है जिंदगी

    खुबसूरत है जिंदगी बस अपना खयाल कर। रख खुशी का हर पल तसवीर मे ढाल कर।। बसंत के बाद पतझड़ [...] More
  • सियासत के जूते वदो पर कविता कविता, पी एल बामनिया

    अब हर डाल पर एक गुलाब होगा

    अब हर डाल पर एक गुलाब होगा। आंधियो से अब सारा हिसाब होगा।। जग गए इस बस्ती के सोए हुए [...] More
  • गांव के प्रति अपनेपन पर छंद, जगदीश तिवारी

    शहरी आँधी में रमा,

    शहरी आँधी में रमा, दूर हो गया गाँव । मीत! कहीं दीखे नहीं, पीपल बरगद छाँव।। पीपल बरगद छाँव, हाय! [...] More
  • सम्बन्धो के बिच ग़लतफहमी पर छंद, जगदीश तिवारी

    अपनापन हँसता नहीं, रोते हैं सम्बन्ध

    अपनापन हँसता नहीं, रोते हैं सम्बन्ध । प्रीत-प्यार क बीच में, ये कैसी दुर्गन्ध ।। ये कैसी दुर्गन्ध, समझ में [...] More
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