कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं, नादां समझ रहे है कि हम बड़े हुए हैं। वो आसमान और इस [...]
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कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं
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फिर वही माझी खड़ा है फिर वही पतवार मेरी
कश्तियों ने आज तट से फिर मुझे गुंजन सुनाई फिर कोई ललकार तट की धारियों से छन के आयी सिंधु [...] More -
रूह हो तुम!
बड़ी हैरत में हूँ खाली कैनवास पर तो मन रेखाएँ खींच लेता है कूँचियाँ क्यों सहम जाती है उतर नही [...] More -
लाल बहादुर शास्त्री जी पर कविता
छोटा कद पर सोच बड़ी थी तेज सूर्य का चमके भाल। भारत माँ के गौरव थे वो कहलाये गुदड़ी के [...] More -
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे
नयनों में आपके ही डूब हम जीने लगे, मदहोशी दुनिया की पीछे छोड़ आये हैं। जीत हार का कोई सताए [...] More -
मेरे देश की आजादी
मेरे देश की आजादी, अद्धभुखी, प्यासी। निढाल, थकी सी। पेट के खातिर बेच रही, हाथो में ले तिरंगा। नही जानती [...] More -
भ्रष्टाचार की काली कहानी हूँ मैं
भ्रष्टाचार की काली कहानी हूँ मैं, दर-दर फटती, वो सड़क हूँ मैं। गड्डे, मेरा बदन चीर-चीर देते, ऐसी बदनसीब सड़क [...] More -
कौन किसकी मानता है अब यहाँ पर
कौन किसकी मानता है अब यहाँ पर वक़्त कैसा आ पड़ा है गुलसिताँ पर आज अपनों को दग़ा दे इस [...] More -
आज फिर में गुनगुनाना चाहता हूँ
आज फिर में गुनगुनाना चाहता हूँ हर क़दम पे मुस्कराना चाहता हूँ ऐ अंधेरे तू यहाँ से भाग जा अब [...] More