हो जायेगी ज़िन्दगी सब तेरी अनमोल अंधियारा हिय से भगा उजियारा पट खोल बरखा बरसी झूम कर मनवा हुआ विभोर अब घर आजा साजना नाच रहा हिय-मोर आँख मीच उसका सनम मत कर यूँ गुणगान वो ओछा है या भला पहले उसको जान मीत ! कभी तो गाँव आ जान गाँव का हाल बन्दूके चलती [...]
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हो जायेगी ज़िन्दगी
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वगुलो की चल पड़ी दुकान
वगुलो की चल पड़ी दुकान, हंस ताल छोड़कर चले गये, मरघट सी लगती सिवान, लाशों पर गिध्द सब झपट पड़े | वासन्ती धरती का मुँह पीला हो गया, आवारा पतझर मधुमासों पर सो गया, सिहर उठे कलियों के प्रान, हंस ताल छोड़कर चले गये | अतड़ी को बाध दिया सागर की लहरों से, तार तार [...] More -
साथ निभाने की कसमें
साथ निभाने की कसमें जो खाते रहते थे अब उनकी सुधियों में खोना अच्छा लगता है | सांसो के सर पर जिनको सदा सवाँरा था, विरह राग में उनको गाना अच्छा लगता है || पलकों पर मडराते बादल रुक रुक बरस रहे, बनजारे नैनों का झरना अच्छा लगता है || जब गुलाब की गंध पसरकर [...] More -
न छीनो प्यार के मोती
न छीनो प्यार के मोती, सजल मनुहार के मोती, बड़े अनमोल मोती हैं मेरे श्रृंगार के मोती | कभी आहों में आते हैं, कभी चाहों में आते हैं, कशमकश में कभी रहते, कभी बाहों में आते हैं, न जाने क्यों अकेले में सजे अभिसार के मोती || कभी ये रात में आते, कभी जज्वात में [...] More -
सुधियों का यह दर्द
सुधियों का यह दर्द बड़ा ही प्यारा लगता है, चुपके से आता है सबसे न्यारा लगता है | थके वटोही सा आता है , चन्दा सा छुप-छुप जाता है | सुलग-सुलग कर मन के भीतर, बरबस आग लगा जाता है || जीवन तम में जुगनू सा उजियारा लगता है, सुधियों का यह दर्द बड़ा ही [...] More -
सतरंगी धरती पर फैली
सतरंगी धरती पर फैली कितनी राह अजानी, एक फूल के खातिर कितनी कितनी बनी कहानी || चित्र बनाती रही रात भर गन्ध पवन की लेकर, तेरी सुधियों की बरसाती ताल तलैया छूकर | पूरव की खिड़की से झाँके जब चाँदिनी सयानी, एक फूल की खातिर कितनी-कितनी बनी कहानी || मैंने तो तुमसे बस केवल एक [...] More -
मैं तुम्हारी जिन्दगी में
मैं तुम्हारी जिन्दगी में गीत बनकर क्या करूँगा | साँझ की वरसात के रिमझिम स्वरों का यह तराना, नीड़ में दुबके खगों का प्रेम से कुछ गुनगुनाना | सुघर सावन में वरसते मेघ की चादर पसारे, स्नेह से भीगे नयन की कोर से विरहिन निहारे || मधुर बासन्ती छणों में गीत बनकर क्या करूँगा | [...] More -
सम्बन्धों का इस तरह
सम्बन्धों का इस तरह तोड़ न भाई द्वार समय कठिन हो जायेगा जीवन होगा भार अपने अन्तस से कभी मिटा सका ना भेद यही भेद तो कर रहा सम्बन्धों में छेद सम्बन्धों के द्वार पर छिड़क प्रीत का रंग तेरे घर के द्वार पर बाजेगा फिर चंग बदला बदला सा लगा कुछ उसका व्यवहार लगता [...] More -
बनकर के परछाई मेरी
बनकर के परछाई मेरी ना करना रुसवाई मेरी है अहसान बहुत आईने सूरत तो दिखलाई मेरी रखते-रखते ये सर ऊंचा गरदन भी दुख आई मेरी जैसे-जैसे दिन ढलता है बढ़ती है कठिनाई मेरी उपदेशों से तो बढ़कर ठोकर ही रंग लाई मेरी मुझसे मेले ले लो सारे लौटा दो तन्हाई मेरी बस उसके एक इशारे [...] More