आगे आगे चल रहा पीछे का ना ध्यान पीछे गर कुछ हो गया घट जायेगा मान कर सकता हर काम है हर कोई इंसान जब कोई भी आदमी लेता मन में ठान मन से थोड़ी बात कर मन से कर पहचान मन गर वश में कर लिया तब है तू इंसान शब्दों के दरबार में [...]
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आगे आगे चल रहा
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सपने सब ढहने लगे
सपने सब ढहने लगे जीना हुआ दुश्वार सुख की बगिया में लगी जब से खरपतवार उतर गये नकली सभी चेहरे से नकाब सपने जब हँसने लगे खिलकर एक गुलाब पिछली सारी ज़िन्दगी खुलकर करे बयान यादों का जब सिलसिला लेता तम्बू तान एक नये विश्वास का करके वो श्रृंगार सपनों को करने चला अपने वो [...] More -
बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर। जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है। बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने लगे। मठपाल का देख मजीरा सागर लहराने लगे। प्रेम भंडारी गुप्तेश्वरजी रौशन करें जहान। बुरा न मानो मेरे विनय जी होली है विहान। मलती गुलाल हेमा शिल्पी के गाल पे। मधुजी रंग लगावें प्रीता जी [...] More -
भीतर की अच्छाइयाँ भरें
भीतर की अच्छाइयाँ भरें मनुज में रंग यही रंग तो मनुज को जीने का दे ढंग सच्चाई जिसमें हँसे ना जिसमें कुछ खोट उससे हाथ मिलाइए कभी न देगा चोट तेरे ओछे बोल ये हिय में करते घाव अपने इस स्वभाव में कुछ तो ला बदलाव दोहे के दरबार में आया है जगदीश माँ उसकी [...] More -
सम्बन्धों के द्वार पर
सम्बन्धों के द्वार पर खेल प्रेम का खेल खुद-ब-खुद विश्वास की उग जायेगी बेल मन पंछी आकाश में भरने लगा उड़ान सपनों का आकाश में बनने लगा मकान मन के हारे हार है मन के जीते जीत अपनों से कुछ दिल लगा अपनों से कर प्रीत तेरे मेरे बीच में ये कैसा सम्बन्ध याद करूं [...] More -
समझ नहीं सकता
समझ नहीं सकता कभी दूजों के जज़्बात अहंकार में डूबकर जो करता है बात चलते चलते थक गया यह बिल्कुल मत सोच चलते रहना जंग है यह जीवन की लोच कुछ तो ऐसा काम कर तेरा हो गुणगान और यहाँ तनकर चले तेरी ये संतान जो भी करता तू यहाँ देख रहा जगदीश सुनकर सच्ची [...] More -
सूरज तक पाबन्द है देख
सूरज तक पाबन्द है देख ! समय के हाथ फिर तू क्यों चलता नहीं मीत समय के साथ मीत ! समय के साथ चल, समय न कर बेकार गया समय आता नहीं वापस अपने द्वार नयनों ने जब पढ़ लिया उसके हिय का ज्वार लपक झपक करने लगा मेरे हिय का द्वार अपनों में विश्वास [...] More -
सच का आँगन जल रहा
सच का आँगन जल रहा सच का जला मकान क़दम क़दम पर हँस रहा झूठा बेईमान गन्दों से तू दूर रह गन्दों से मुख मोड़ करनी है तो कर यहाँ अच्छों से तू होड़ लोकतंत्र में हँस रहा राजतंत्र पी भंग सब उसके सत्कार में बजा रहे हैं चंग भाई ! देख समाज में कैसा [...] More -
हिय आँगन में ही उगा
हिय-आँगन में ही उगा मीत प्रीत की बेल हर पल इसको सींचना यही खेलना खेल मीठा मीठा बोलना, सबसे रखना मेल होने ना देना कभी अपने को बेमेल पद से उतरा क्या ज़रा देख ! हो गई रात इर्द गिर्द कोई नहीं नहीं रही वो बात पद ऊँचा क्या मिल गया भूल गया औकात ऐरे [...] More