जो दिखाई देता हूं वो नहीं हूं मैं और ना ही वो हूं जो तुम देखते हो तुम्हारे देखने मेरे [...]
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जो दिखाई देता हूं
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जब साथ-साथ है
जब साथ-साथ है हम-तुम, तो क्यो आए कभी कोई गम। एक-दूजे के साथ रहे उम्र भर, यही एक अहसास रहे [...] More -
खिंच लाती है
खिंच लाती है जुस्तजू तेरी अच्छी लगती है गुफ्तगू तेरी फूल में चाँद में हरेक मंज़र में शक्ल दिखती है [...] More -
आख़िरी बार कब
आख़िरी बार कब देखा था तुमने उसे या फिर उसने तुम्हें ठीक से सोच कर बताओ अगर नहीं मालूम तो [...] More -
सपनों को आकाश दे,
सपनों को आकाश दे, रिश्तों को नव-सांस मीत! कभी टूटे नहीं, अपनों का विश्वास महंगाई हर दुवार पर चला रही [...] More -
फिसलन ही फिसलन यहां,
फिसलन ही फिसलन यहां, फिसल रहा इंसान कीचड़ में सनकर यहां भूल रहा ईमान भोर हुई किरणें हँसें, पंछी गायें [...] More -
उम्र कुछ इस तरह
उम्र कुछ इस तरह बिता दी है राख के ढेर को हवा दी है आपका फ़ैसला निराला है ज़िन्दगी बख्श [...] More -
गुज़र गई ग़फ़लत में
गुज़र गई ग़फ़लत में सांसों के आने-जाने के बीच झूलता रहा बिखरता रहा तेरे ख़याल की आंधी में और तू [...] More -
भीतर उठते भाव को
भीतर उठते भाव को माँ दे दे आकार कविता बनकर वो हँसे, जग के हरे विकार धो माँ! मेरे पाप [...] More