गुज़र गई ग़फ़लत में सांसों के आने-जाने के बीच झूलता रहा बिखरता रहा तेरे ख़याल की आंधी में और तू देखती रही मेरा तमाशा हर दौर में ज़िन्दगी तू भी तो मुकम्मल नहीं मेरे बग़ैर | – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
गुज़र गई ग़फ़लत में
गुज़र गई ग़फ़लत में
सांसों के आने-जाने के बीच
झूलता रहा
बिखरता रहा
तेरे ख़याल की आंधी में
और तू
देखती रही
मेरा तमाशा हर दौर में
ज़िन्दगी तू भी तो
मुकम्मल नहीं
मेरे बग़ैर |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
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